पिथौरागढ़: जून के दूसरे सप्ताह से शुरू होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा की तैयारियां अपने अंतिम दौर में पहुंच गयी है। यात्रा की नोडल एजेंसी पिथौरागढ़ जिला प्रशासन और सह एजेंसी कुमाऊं मंडल विकास निगम ने यात्रा को सफलता पूर्वक संचालित करने के लिए कमर कस ली है। इस बार पैदल मार्गों की खस्ताहाली को देखते हुए यात्रियों को पिथौरागढ़ से गुंजी तक की यात्रा हैलीकाॅप्टर से कराने का निर्णय लिया गया है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल 14 जून से शुरू होने जा रही है जो 7 सितम्बर तक चलेगी। पिथौरागढ़ जिले के लिपुलेख दर्रे से होकर गुजरने वाली इस यात्रा में श्रद्धालुओं को करीब 18000 फीट की ऊंचाई पार करनी पड़ती है। विश्व की सबसे दुर्गम यात्रा में शुमार इस यात्रा में श्रद्धालुओं को कठिन पहाड़ी रास्तों और खतरनाक ग्लेश्यरों के बीच से होकर गुजरना पड़ता है। मगर इस साल यात्रियों को लगभग 52 किलोमीटर कम पैदल चलना पड़ेगा। जिससे यात्रा और सुगम जाएगी। दरअसल पिछले साल मानसरोवर यात्रा के मार्ग में बादल फटने से भारी तबाही मची थी। जिसके चलते यात्रा मार्गो को भी भारी नुकसान पहुंचा था। जिसे देखते हुए जिला प्रशासन ने विदेश मंत्रालय को इस बार पिथौरागढ़ से गुंजी तक की यात्रा हैलीकाप्टर से कराने का आग्रह किया था जिसे स्वीकार कर लिया गया है।
हालांकि गुंजी से आगे की यात्रा पूर्व की भांति ही संचालित होती रहेगी। जिलाधिकारी ने बताया कि यात्रियों को पिथौरागढ़ से वायु सेना के हैलीकाप्टर से गुंजी पहुंचाया जायेगा। जहां यात्रियों ठहराने के लिए होम स्टे जैसी सुविधाओं का भी सहारा लिया जायेगा। गुंजी से आगे उच्च हिमालयी इलाकों में यात्रा के सफल संचालन का जिम्मा आईटीबीपी की सातवीं वाहिनी के पास है। गुंजी से लेकर लिपुलेख दर्रे तक का सफर यात्री आईटीबीपी के जवानों के साये में तय करेंगे । इस साल 18 दल कैलाश मानसरोवर यात्रा में जायेंगे और हर दल में लगभग 60 यात्री शामिल होंगे।
दुर्गम यात्रा होने के बावजूद साल-दर-साल कैलाश मानसरोवर यात्रा को जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हो रहा है। भगवान भोले का नाम लेकर श्रद्धालु यात्रा मार्ग में होने वाली कठिनाईयों को चुटकियों में पार कर लेते हैं। ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि तमाम कठिनाईयों के बावजूद यात्रा सफलतापूर्वक संचालित होगी।