पिथौरागढ़: सीमान्त जिला पिथौरागढ़ आपदा का गढ़ बनता जा रहा है। इस मानसून सीजन में सबसे ज्यादा नुकसान इस जिले को हुआ है। आपदा के चलते जहां सैकड़ों लोग बेघर हो चुके हैं। वहीं कई इलाकों का शेष दुनिया से सम्पर्क कट गया है। आलम ये है कि कुदरत के कहर के आगे प्रशासनिक इंतजाम बौने साबित हो रहे हैं।
पिथौरागढ़ जिले का आसमानी कहर ने सब कुछ तबाह करके रख दिया है। मुनस्यारी तहसील के धापा गांव में हालात इस वक्त सबसे ज्यादा बदतर हैं। यहां सड़के, पुल और रास्ते प्रशासनिक भवन ध्वस्त है और लोग जान हथेली पर रखकर सफर करने को मजबूर है। आपदाग्रस्त तहसील की 10,000 से अधिक आबादी एक दम अलग-थलग पड़ी हुई है। जिन पर हर वक्त खतरा मंडरा रहा है। जो पिछले दो महीने से लगातार समय-समय पर मार्ग बंद होने के कारण इन इलाके के लोगों का अब जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
आपदा ने जहां कई लोगों के आशियाने छीन लिये, वहीं कई मकान खतरे की जद में हैं। धापा गांव के 8 परिवारों के कुल 40 लोगों को अब खतरे के चलते प्रशासन द्वारा राहत शिविरों में रखने की बात कही जा रही है।
जिलाधिकारी पिथौरागढ़ का कहना है कि, मुनस्यारी से 15 किमी दूर धापा गांव में कल देर रात तेज बारिश के कारण वहाँ पर मलबा आने से गिरीफ का कैम्प ध्वस्त हो गया है, जिसमे मलबे के साथ बोल्डर आने से कैम्प के अंदर मलबा घुस गया है, कैम्प के निचले हिस्से में भी गांव हैं जिसमे आठ परिवार व एक स्कूल है। उस गांव को भी खतरा हो सकता है, जिसके चलतेे वहां के लोगों को स्कूल व सरकारी भवनों में शिफ्ट किया जा रहा है, जिसके खेतों खलिहान में ज्यादा नुकशान हुआ है, उनका आंकलन किया जा रहा है, आंकलन करने के बाद राहत धन राशि दी जाएगी।