नैनीताल: केदारनाथ फिल्म में केदारनाथ धाम व हिंदुओं की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने के खिलाफ दायर याचिका हाईकोर्ट पहुँच गई है। जिस पर जल्द सुनवाई होने की संभावना है। याचिका में कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराओं को ताक पर रखकर फ़िल्म बनाई गई है। भगवान केदारनाथ का अपमान करते हुए विदेशी रुपयों के दम पर फ़िल्म का निर्माण किया गया है।
याचिकाकर्ता स्वामी दर्शन भारती ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर प्रार्थना की है कि फ़िल्म केदारनाथ में पहाड़ सहित हिंदुओं की आस्था और विश्वास के साथ भद्दा मजाक किया गया है। फ़िल्म में दिखाया गया है कि केदारनाथ में सैकड़ों वर्षों से मुस्लिम समाज के लोग रहते हैं जबकि वहां एक भी मुस्लिम या इस्लामिक परिवार नहीं रहता है। फ़िल्म निर्माता ने केदारनाथ की आपदा को लव जिहाद से जोड़कर आस्था और विश्वास पर कुठाराघात किया है । फ़िल्म में लड़का मुस्लिम और लड़की हिन्दू है और इनकी शादी को लेकर लड़की वाला परिवार कहता है कि अगर प्रलय भी आ जाएगा तो शादी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि फिल्म के प्रोमो/ट्रेलर में दिखाया गया है कि हीरो कहता है कि हमारे पूर्वज सदियों से केदारनाथ में रहते आ रहे हैं जबकी ऐसा नहीं हैं। याची ने बताया कि सेंसर बोर्ड को भी ज्ञापन भेज आपत्ति दर्ज कर दी गई है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ देश के लिए मोक्ष धाम के रूप में प्रचलित है और जगत गुरु संक्राचार्य ने भी चार धाम की स्थापना के बाद यही शरीर त्यागा था । उन्होंने कहा कि इससे आहत होकर हमने लोकतंत्र के मंदिर में केदारनाथ की आस्था को बचाने की मांग की है । उन्होंने ये भी बताया कि केदारनाथ और बद्रीनाथ मन्दिर समिति ने भी याचिका में साथ देते हुए कहा है कि फ़िल्म निर्माण में उनसे कोई अनुमति नहीं ली गई है । याचिका दायर होने के बाद अब इस पर जल्द होगी सुनवाई ।