सरकार के आदेश और प्रशासन के जीओ की किस तरीके से धज्जियां उड़ सकती है, इसका सबसे बड़ा उदहारण आज आपको बताते हैं। 2016 में कांग्रेस की पिछली सरकार में एक जीओ जारी हुआ था, जिसमें केदारनाथ घाटी में आगे हेलिपैड बनाने पर पाबंदी लगा दी गयी थी। ताकि केदार घाटी के पर्यावरण औऱ वन्यजीवों को ज्यादा हानि ना पहुंचे। साथ ही साथ लैंडस्लाइड जैसे खतरे को भी टाला जा सके।
बावजूद इसके कुछ कारोबारियों ने सभी नियमों को ताक में रखकर अंधाधुन निर्माण कर हैलिपैड तैयार कर दिये हैं। लेकिन प्रशासन द्वारा अब तक सिर्फ कागजी कार्यवाही ही हो पायी है। जिसके कारण केदार घाटी के बड़ासू और फाटा में प्रशासन की नाक के नीचे दो अवैध हेलिपैड तैयार हो चुके है। वहीं जब इन अवैध रूप से बने हेलिपैड पर हमने एसडीएम ऊखीमठ से सवाल किये तो उन्होनें बताया कि प्रशासन द्वारा उन जगहों पर यात्रियों के लिए विश्राम गृह बनाने की अनुमति दी गयी थी और कारोबारियों ने भी वहां पर विश्राम गृह बनाने के लिए प्रशासन को एफिडेविड दिया था । बावजूद इन सब के आज वहां पर विश्राम गृह की बजाय हेलीपैड सज- धज रहे हैं।
प्रशासन की इस उदासीन मशीनरी को जानने के लिए जब हैलो उत्तराखंड न्यूज ने रुद्रप्रयाग डीएम से इस विषय पर सवाल किया तो उन्होनें शीघ्र ही इस पर कार्यवाही की बात करते हुए एसडीएम को जांच के आदेश देने की बात कही है। अब देखना होगा कि 7 मई 2016 को होने वाली डीजीसीए की ऑडिट से पहले क्या प्रशासन अपनी इस भारी भूल को सुधार कर अवैध रूप से बने हेलीपैड पर कार्यवाही कर पाता है या नहीं। साथ ही साथ यहां पर जिलाधिकारी की भी ये जिम्मेदारी बनती है कि वे नागरिक उड्डयन विभाग को भी पत्र लिख कर इन अवैध रूप से बने हेलिपैड़ों की जानकारी दें।