नैनीताल: हाईकोर्ट ने सरकार की ओर से दायर स्पेशल अपील को खारिज करते हुए अपील दायर कराने वाले पीडब्ल्यूडी भवाली के अधिकारियों पर कोर्ट का बहुमूल्य समय बर्बाद करने के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही न्यायालय ने याचिकाकर्ता की सर्विस को पेंशन में जोड़ने के आदेश दिए हैं। वरिष्ठ न्यायमूर्ति राजीव शर्मा एवम न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
मामले के अनुसार पूर्व में ग्राम अमरकपुर विकासखंड भीमताल निवासी देवीदत्त ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वे पीडब्ल्यूडी भवाली से 2013 में 30 वर्ष के सेवाकाल के बाद रिटायर हुए थे। याचिका में कहा कि उनकी इस सेवाकाल को विभाग की ओर से रिटायरमेंट के लाभों के लिए नहीं जोड़ा गया। याचिकाकर्ता ने वर्कचार्ज में की गई सेवाओं को पेंशन व अन्य बेनेफिट का लाभ देने की प्राथना की थी। एकलपीठ ने 22 दिसंबर 2017 को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता की सेवाकाल को पेंशनरी बेनेफिट में जोड़े जाने का आदेश दिए थे। एकलपीठ के इस आदेश को सरकार ने स्पेशल अपील के माध्यम से चुनौती दी थी। सरकार की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया गया कि इससे संबंधित याचिकाएं न्यायलय की खंडपीठ में लंबित है। याचिकाकर्ता के अधिक्वता ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता से संबंधित मामला हबीब खान बनाम सरकार में सर्वोच्च न्यायालय पहले ही निर्णय दे चुका है। जिसमें कहा गया है कि वर्क चार्ज की अवधि को पेंशनरी लाभों में जोड़ा जाय। लेकिन सरकार द्वारा वर्कचार्ज सेवको की सेवा को पेंसनरी लाभों में नही जोड़ा गया। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि संविधान के अनुच्छेद 141 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हबीब खान में पारित आदेश बाध्यकारी है। इसलिए सरकार की स्पेशल अपील का कोई औचित्य नहीं है। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार की स्पेशल अपील को खारिज करते हुए अपील दायर करने व संस्तुति देने वाले अधिकारियो पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।