रुद्रप्रयाग: जिले में नई ब्राड गेज रेल लाईन परियोजना निर्माण से पहले ही अधिकारियों की बडी लापरवाही सामने आ गयी है। यहां बगैर शासनादेश के प्रशासन ने सरकारी जमीनों पर बने भवनों का भी मुआवजा वितरित कर दिया है और अब अपनी गलतियों को छुपाने के नाम पर करीब चार महीने बाद 17 प्रभावितों को 1 करोड 60 लाख रुपये रिकवरी के नोटिस थमा दिये हैं। वहीं जिलाधिकारी इस मामले को गम्भीर बता रहे हैं और सम्बन्धित अधिकारी कर्मचारियों का जवाब तलफ करने की बात कह रहे हैं।
126 किमी ऋिषिकेश-कर्णप्रयाग नई ब्राड गेज रेल लाईन निर्माण को लेकर जनपद के 10 गावों में जमीन व भवनों का अधिग्रहण किया गया है। लम्बी प्रशासनिक प्रक्रियाओं के बाद अधिगृहित जमीनों व भवनों के स्वामियों को मुआवजा वितरित किया गया था। मगर अब चार महीने बाद नरकोटा व घोलतीर में जैसे ही 17 प्रभावितों को अपर कलेक्टर के हस्ताक्षरों युक्त नोटिस प्राप्त हुआ तो प्रभावितों के होश उड गये। नोटिस में लिखा गया है कि तु्रटिवश आपके खाते में मुआवजे की धनराशि आ गयी है जब्कि आपके भवन सरकारी जमीनों पर बने हुए हैं और यह अवैध अतिक्रमण की सीमा में आते हैं। नोटिस के जरिये दिये रिकवरी के आदेशों से प्रभावित परेशान हो गये हैं और प्रशासन पर उनके साथ छलावा करने का आरोप लगा रहे हैं।
प्रभावितों का कहना है कि प्रशासन को जब पता था कि सरकारी जमीनों पर बनें भवनों के लिए मुआवजा वितरित करने को लेकर कोई शासनादेश नही है ंतो फिर यह धनराशि बांटी क्यूं गयी और अब बांट दी है तो आखिर चार महीने के बाद रिकवरी करने की याद क्यूं आयी। कहा कि प्रशासन की गलती को अब जबरन प्रभावितों पर थेापा जा रहा है।
वहीं जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल भी इस मामले को बडी लापरवाही मान रहे हैं। कहा कि सरकारी भूमि पर बने भवनों के मुआवजे को लेकर शासन से कोई भी दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हैं ऐसे में जिन अधिकारी कर्मचारियों द्वारा यह लापरवाही की गयी है उनसे स्पष्टीकरण मांगा जायेगा।
एनएच 74 घोटाले की झलक अब रेल लाईन निमार्ण मुआवजा वितरण में भी दिखने लग गयी है और सवाल सीधा है कि बिना शासनादेश के अधिकारियों ने कैसे 1 करोड 60 लाख रुपये का मुआवजा वितरित कर दिया जब्कि मुआवजा वितरण से पहले प्रशासन व रेलवे से जुडे अधिकारी जमीनों व भवनों की लम्बी जांच पडताल कर चुके थे फिर भी किस स्तर पर यह बडी लापरवाही हुई।