बागेश्वर: फलों का राजा आम का गढ़ पहाड़ में बागेश्वर को माना जाता है, लेकिन इन दिनों आम का उचित समर्थन मूल्य न मिलने के कारण आम पेडों में ही दिख रहा है। आम को बाजार तक ले जाने और उचित मूल्य दिये जाने की कोई मजबूरी के कारण यहां काश्तकार औने-पौने दामों में ही आमों को बेचने में मजबूर हैं। वहीं कुछ काश्तकारों ने उचित दाम न मिलने के कारण आम को पेड़ों में ही छोड़ दिया है। आमों के ठेकेदार पूरन राम का कहना है। कि हल्द्वानी में आमों का अचित मूल्य न मिलने के कारण लगभग सभी ठेकेदारों ने आम का काम करना छोड दिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि लेबर चार्ज व आमो की टूटाई भी काफी महंगी हो गई है जिससे उनकी परेशानी बढ़ गई है। वहीं गोविन्द सिंह का कहना है कि आमों की बर्बादी से रस्ते नाले भी खराब हो गये है, साथ ही घास भी खराब हो रही है।
मामले को लेकर जिलाधिकारी रंजना राजगुरू का कहना है कि आमो की पैदावार अधिक मात्रा में होने से और उनका समर्थन मूल्य नहीं मिल पाने से सभी काश्तकार परेशान हो रहे है। उन्होंने आश्वाशन देते हुए कहा कि अगले वर्ष के लिये कोई ठोस योजना जरूर बनाई जाएगी, जिससे आम के काश्तकारों को उचित समर्थन मूल्य मिल सकेगा।