देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को पौड़ी में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के कार्यालय भवन का विधिवत उद्घाटन किया। इसके उपरान्त मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की प्रथम बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि, पलायन आयोग के गठन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों का विकास कर पलायन को रोकना है और आयोग के गठन के बाद हम इसमें सफल होंगे। उन्होंने कहा कि, जो गांव पलायन के कारण खाली हुए हैं और जिन गांव में रिवर्स माइग्रेशन हुआ है, इसका भी अध्ययन किया जाए। साथ ही राज्य सरकार ने स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकों को लागू किया है, इसका माइग्रेशन पर क्या असर हुआ, अध्ययन में इस बात को भी जोड़ा जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, हम अपनी न्याय पंचायतों को ग्रोथ सेंटर के रूप में विकसित कर रहे हैं, इससे राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में रिवर्स माइग्रेशन शुरू होगा। उन्होंने कहा कि, हमें अपने-अपने क्षेत्र की विशेषताओं पर भी ध्यान देना होगा। जैसे कीर्तिनगर, टिहरी गढ़वाल के पास के क्षेत्र में मैंगो जिंजर बहुत अच्छी मात्रा में उत्पादित होता है, टौंस वैली में टमाटर की अच्छी पैदावार होती है, इसको प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। ऐसी फसलों का उत्पादन किया जाना चाहिए जिन्हें, जंगली पशु नुकसान ना पहुंचा पाएं।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि, हमें माइग्रेशन के प्रकार और उसके कारणों की जांच पर ध्यान देना होगा। स्थानीय माइग्रेशन किन कारणों से हो रहा है, इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। वहां पर ऐसी कौन-कौन सी अवस्थापना सुविधाओं की कमी है इसका भी अध्ययन होना चाहिए।
प्रदेश के सभी गावों में शत्-प्रतिशत सर्वे पूरा
पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस.नेगी ने बताया कि पूर्व में पलायन आयोग की वेबसाइट www.uttarakhandpalayanayog.com का उद्घाटन किया गया है। वेबसाइट से लोगों के सुझाव प्राप्त करने में आसानी होगी। उन्होंने बताया कि, आयोग द्वारा प्रदेश के सभी गावों में शत्-प्रतिशत सर्वे कर लिया गया है। सर्वे में ग्रामवासियों के पलायन से संबन्धित विभिन्न तथ्यों पर जानकारी जुटाई गई है। उन्होंने कहा कि, प्रदेश के बहुत से क्षेत्रों में रिवर्स माइग्रेशन भी देखा गया है। वर्तमान में आंकड़ों को कंप्यूटराइज किया जा रहा है, जिसे शीघ्र ही प्रकाशित किया जाएगा।