देहरादून: उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष समिति का धरना आज पांचवे दिन भी जारी रहा। बड़ी संख्या में पहुंचे विभिन्न यूनियनों से जुड़े पत्रकारों ने एक सुर में सरकार की नीतियों के खिलाफ झंडा बुलंद किया।
सोमवार को यह निर्णय लिया गया कि, मंगलवार को धरना-प्रदर्शन किया जाएगा, इसके अलावा शाम 6:30 बजे से गांधी पार्क से घंटाघर तक विरोध स्वरुप मशाल-जुलूस भी निकाला जाएगा।
पत्रकारों ने इस बात के प्रति भी खासा आक्रोश जताया कि पहले सरकार के प्रतिनिधियों और सूचना विभाग के अधिकारियों की ओर से यह आश्वासन दिया गया कि नियमावली को मनमाने ढंग से तोड़ने पर अधिकारियों के स्तर से गलती हुई है, नियमावली के खिलाफ जाकर देव सुमन से संबंधित जो विज्ञापन जारी होने में चूक की गई है, वह विज्ञापन मसूरी कॉन्क्लेव के अवसर पर जारी होने वाले विज्ञापन में इसकी प्रतिपूर्ति कर दी जाएगी। सरकार और सूचना विभाग की ओर से अपील की गई थी कि मसूरी कॉन्क्लेव में अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के आने के मद्देनजर 28 तारीख को कोई भी धरना प्रदर्शन न किया जाए। पत्रकारों ने सरकार का रुख देखते हुए 28 तारीख को अपना धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम स्थगित रखा लेकिन, मसूरी कॉन्क्लेव के बीतते ही 29 तारीख को सरकार और अफसरों ने फिर से पुराना अड़ियल रवैया अख्तियार कर दिया।
इस कार्यक्रम में सोशल मीडिया के इंपैक्ट पर शोध कर रहे पत्रकार प्रवीण भट्ट ने अपने संबोधन में कहा कि, विभिन्न देशों की तरह भारत में भी वर्तमान दौर जन-सरोकारों वाली पत्रकारिता करने वालों के लिए खतरों से भरा हुआ है। सभी जगह आम आदमी की बात कहने वाले पत्रकार सरकारों के निशाने पर हैं।
पौड़ी जिले से धरना स्थल पर पधारे ‘जागो उत्तराखंड’ प्रकाशन के संपादक आशुतोष नेगी ने कहा कि, पूरे राज्य के पत्रकार नियमावली को मनमाने ढंग से बदले जाने के सख्त खिलाफ हैं और इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।
कार्यक्रम में एक और पत्रकार यूनियन ‘वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ इंडिया’ ने भी संयुक्त संघर्ष समिति में अपना समर्थन व्यक्त किया। वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ इंडिया के प्रदेश महामंत्री सुनील गुप्ता ने कहा कि वह पत्रकारों के साथ की जा रही मनमानी के खिलाफ संघर्षरत हैं और इस मनमानी के खिलाफ मिलकर लड़ा जाएगा।
सभी पत्रकारों ने एक सुर में कहा कि उनकी बस एक छोटी सी मांग है कि पत्रकारों के लिए बनाई गई नियमावलियों का उल्लंघन न किया जाए लेकिन सरकार कुछ सुनने को राजी नहीं, लिहाजा सरकार के कान खोलने के लिए आंदोलन को तेज किया जाएगा और किसी भी सूरत में पत्रकारों के साथ अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।