हरीश शर्मा की रिपोर्ट
देहरादून: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की हालत ठीक नहीं चल रही हैं। दून अस्पताल में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना असफल होती हुई नजर आ रही हैं। मध्यम वर्ग के लोग महंगी दवाइयों को बाहर से खरीदने के लिए मजबूर हैं। जबकि दून अस्पताल के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से अस्पताल को धनराशि प्राप्त नहीं हो रही हैं जिसके चलते अस्पताल 1 करोड़ 86 लाख रूपये कर्ज के बोझ में दबा हुआ है।
दून अस्पताल सीएमएस केके टम्टा ने बताया कि अस्पताल के ऊपर फाइनेंस कंपनी का 1 करोड़ 86 लाख रूपये का कर्जा चढ़ा हुआ है। जबकि मुख्य चिकित्सक अधिकारी द्वारा 16 लाख रूपये नहीं दिए गए। उन्होंने राज्य के मुख्या सीएम रावत से लेकर स्वास्थ सचिव को पत्र के जरिये समस्या से अवगत करा दिया गया हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई खासा इंतजाम नहीं किया गया हैं। बहरहाल सीएमएस केके टम्टा के बयान से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जल्द ही स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत पूरी तरह से बिगड़ने की कगार में हैं जिसका खामियाजा राज्य के मध्यम वर्ग को भुगतना होगा।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रदेश में एक अप्रैल 2015 से इस योजना को शुरू किया गया था। हालांकि बीते साल नवंबर माह में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा इस योजना को बंद कर दिया गया था जिसके बाद राज्य के करीब 12 लाख लोगों को प्रदेश के सभी अस्पतालों में इस योजना के लाभ से वंचित हो गए थे।