देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम घोटालों और घाटे का निगम बनते जा रहा है। डीजल चोरी से लेकर बसों को कैरोसीन तेल से दौड़ाने और बसों के पुर्जों को इधर-उधर करने के मामले अक्सर निगम में सामने आते रहते हैं। करीब तीन साल पहले बस के टायरों के नट बोर्ड के घोटाले का मामला भी सामने आया था। अब आरटीआई में एक बड़ा खुलासा हुआ है। रोड़वेज ने वित्तीय वर्ष 2016-2017 में बसों में डीजल खरीदने के नाम पर 1 अरब 57 करोड़, 70 लाख, 35 हजार 795 रुपये खर्च कर डाले। आरटीआई में कुछ और चौंकाने वाली बातें भी सामने आई हैं।
अगर मान भी लिया जाए कि, बसों के संचालन में एक अरब से ज्यादा का डीजल एक साल में खर्च हो सकता है। लेकिन, पुरानी बसों की मरम्मत के नाम पर 5 करोड़, 46 लाख से ज्यादा की रकम खर्च कर डाली। इतनी बड़ी रकम में परिवहन निगम नई बसें खरीद सकता था, लेकिन हैरानी की बात है कि, निगम नई बसों को खरीदने के बजाय पुरानी बसों पर ही करोड़ों खर्च कर रहा है। निगम के पास वर्तमान में करीब 13 बसें संचालन के लायक हैं। इनमें करीब दो सौ बसें एक से डेढ़ साल पुरानी हैं। कई बसें ऐसी भी हैं, जो अब चलने लायक नहीं रही हैं। पहाड़ों की चढ़ाई चढ़ने में हांफने वाली बसों को निगम मैदानी क्षेत्रों में दौड़ाता है। जो आए दिन खराब होती रहती हैं। इनकी मरम्मत के नाम ही हर दिन लाखों खर्च किया जाता है।
कमाई की बात करें, तो निगम को वित्तीय वर्ष 2017-2018 में 58,219.59 लाख की कमाई हुई है। इससे एक बात साफ है कि, निगम जितना कमा रहा है, उतनी धनराशि को केवल बसों के पुर्जों को खरीदने पर ही खर्च कर दे रहा है। निगम के घाटे में जाने की मुख्य वजह भी यही है। बावजूद इसके निगम कुछ करने के बजाय पुराने ढर्रे पर ही बसों का संचालन कर रहा है। आरटीआई एक्टीविस्ट हेमंत गौनिया ने परिवहन निगम से यह सूचना मांगी। जिसके तहत निगम ने यह जानकारियां दी हैं।