रूद्रप्रयाग: वर्ष 2013 की केदारनाथ त्रासदी के दौरान अपने माता पिता से बिछड़ चुके नेपाली मूल के दो बच्चों को अब बाल गृह भेजने की तैयारी चल रही है। इन अबोध बच्चों को पालने वाले पिता अब मजबूरी में इनको प्रशासन को सौंप रहे हैं। वहीं, समाज कल्याण विभाग भी सभी पहलुओं की जांच कर बच्चों को बाल गृह भेजने की प्रक्रियाएं कर रहा है।
दरअसल, 2013 की आपदा के दौरान जखोली के बजीरा गांव में दो नेपाली मूल के बच्चे सडक पर छूटे हुए थे। इस दौरान गांव के एक व्यक्ति घनश्याम को ये बच्चे मिले। काफी खोजबीन करने के बाद वे इन्हें अपने घर ले गये। काफी छोटे होने के कारण परिवार का इन बच्चों पर दिल आ गया और अपने साथ रख दिया। कुछ दिनों तक जब इनके माता-पिता का कोई पता नहीं चला तो घनश्याम ने पुलिस को मामले की जानकारी दी। और फिर समाज कल्याण के अधिकारी बाल कल्याण समिति व न्याय विभाग से जुड़े अधिकारी घनश्याम के घर पहुंचे। काफी बातचीत के बाद इन बच्चों को घनश्याम के सुपुर्द कर दिया गया। लेकिन, अब स्वयं घनश्याम इन बच्चों को प्रशासन को सौंपना चाह रहे हैं। उनका कहना है कि लड़का काफी शरारती है और बार-बार घर से भाग रहा है। उनका कहना है कि बच्चे द्वारा स्कूल में अन्य बच्चों के साथ मार-पीट की जा रही है।
वहीं, जनक का कहना है कि वह बाल गृह जाने के वजाय कोटद्वार जाना चहता है। वहां पर उनके पिता की रिश्तेदार रहती हैं और पहले भी वह उनके साथ रह चुका है। बच्चे ने कहा कि उसे पीटा भी जाता है। जबकि, बालिका का कहना है कि उनके माता पिता उनसे बहुत प्यार करते हैं और भाई शरारतें करता है और घर से भगता है। उधर, जिला बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष उषा सकलानी का कहना है कि पूर्व में भी बच्चों को लेने के लिए कई बार टीम गयी लेकिन, घनश्याम द्वारा उन्हें मना कर दिया गया। उन्होंने बताया कि अब बच्चों को प्रशासनिक संरक्षण में बाल गृह भेजा जा रहा है।