पिथौरागढ़: उत्तराखंड के जाने-माने लोकगायक पप्पु कार्की का पार्थिव शरीर आज सुबह सेलागांव स्थित उनके घर पहुँचा। लोकगायक का पार्थिव शरीर पहुंचते ही गांव में मातम पसर गया। कार्की की माँ सहित उनके परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। परिजन कई देर तक पप्पू कार्की के पार्थिव शरीर से लिपटकर रोते बिलखते रहे।
गौरतलब है कि, बीते शनिवार को हैड़ाखाल रोड में हुई कार दुर्घटना में कार्की की मौत हो गई थी। कार्की ने 1998 में पहली ऑडियो कैसेट “फौज की नौकरी” से अपने संगीत सफ़र की शुरुआत की, इसके बाद उनके कदम रुके नही। युवा लोकगायक ने कम समय में कई जाने-माने अवार्ड भी अपने नाम किए। उनके गाए गीतों ने देश ही नही बल्कि विदेशों में भी धूम मचाई। 34 बंसत देख चुके कार्की अपने पीछे माँ, पत्नी और एक छोटे बेटे को छोड़ गए हैं। पप्पु का अंतिम संस्कार रामगंगा तट पर किया गया, जहाँ इस लोकगायक को अंतिम विदाई देने लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। इस दौरान सभी ने नम आँखों से अपने अजीज लोकगायक को अंतिम विदाई दी। पप्पू कार्की की मौत से उत्तराखंड का पूरा संस्कृति जगत स्तब्ध है। लेकिन हैरानी की बात ये रही कि, बड़े-बड़े मंचों से खुद को संकृति का प्रहरी बताने वाले शासन-प्रशासन का कोई भी नुमाइंदा इस लोकगायक की अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हुआ, जिससे स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है।