देहरादून: पंचायत चुनाव में भाजपा और कांग्रेस, दोनों ने ही अपनी-अपनी जीत का दावा किया। लेकिन शुरुआती दौर के परिणाम से यह संकेत मिले हैं कि जिला पंचायतों में बोर्ड गठन को लेकर दोनों ही प्रमुख दलों को निर्दल प्रत्याशियों का सहारा लेना होगा। हरिद्वार को छोड़ बाकी 12 जिलों में हुए पंचायत चुनाव में खास तौर पर भाजपा को करारा झटका लगा है। पंचायत चुनाव की तिथियों के ऐलान के साथ ही भाजपा दावा कर रही थी कि भाजपा सभी जिलों में अपने दम पर जिला पंचायत अध्यक्ष बना लेगी, लेकिन जिस तरह बड़ी तादाद में निर्दलीय भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों को हरा कर आए हैं, उससे भाजपा के दावों को झटका लगा है।
सरकार में होने के बावजूद पार्टी का प्रदर्शन पौड़ी, पिथौरागढ, चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी में बेहद निराशाजनक रहा है। देहरादून, टिहरी और चंपावत में जरूर पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन भाजपा इस चुनाव में 50 प्रतिशत सीटें भी अपने दम पर नहीं जीत पाई है। इससे भाजपा के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा कितने जिलों में कामयाब होती है और कितने ब्लॉक प्रमुख बना पाती है।