रुद्रप्रयाग: कभी बच्चों की किलकारियों से गूंजने वाले चौक आज खामोश हैं, तो फसलों से लहलहाने वाले खेत बंजर पडे हैं। भव्य मकान खण्डहर में तब्दील हो गये, तो रास्ते भी अब कंटीले दिखने लगे हैं, यह हकीकत है जिला मुख्यालय से महज 5 किमी की दूरी पर बसे बर्सू गांव की। जो आज पलायन की मार से अपने अस्तित्व को भूल गया है। अब गांव के ही एक व्यक्ति ने गांव को फिर से आबाद करने का बीडा उठा लिया है और स्वयं के संसाधनों से यहां स्वरोजगार कर अन्य लोगों को भी गांव में दोबारा बसागत करने के लिए प्रेरित कर रहा है।
रुद्रप्रयाग शहर से महज पांच किमी की दूरी पर स्थित है बर्सू गांव। करीब 20 वर्ष पहले यहां पर 85 परिवार बसते थे। मगर नागरिक सुविधाओं के अभाव में गांव खाली होता गया और आज खण्डहर में तब्दील हो गया है। गांव के लोगों का कहना है कि गांव में सुविधाएं न होने के कारण पलायन हुआ है और अब यदि सरकारें गांव में आवश्यक सुविधाएं मुहैया करवाती हैं तो गांव फिर से आबाद हो सकता है।