देहरादून: वन विभाग के मुखिया की लग्जरी कार की चर्चाओं के बीच एक और चर्चा भी जोर पकड़ रही है। दरअसल, प्रदेश में एक मंत्री और एक अधिकारी के लिए एक-एक कार का प्रावधान है। इसका भी शासनादेश जारी किया गया है, लेकिन अक्सर देखने को मिलता है कि शासन में तैनात सचिव अलग-अलग विभागों के वाहनों का प्रयोग करते हैं। जिसके पास जितने विभाग, उतनी गाड़ियां। मंत्रियों का भी यही हाल है। उनका जब मन करता है, तब उनकी लग्जरी कारें बदल जाती है। इसका सीधा असर सरकारी खजाने पर पड़ रहा है।
मुख्य वन संरक्षक लग्जरी कार का मामला सामने आने के बाद लोग मंत्रियों और अधिकारियों की लग्जरी कारों को लेकर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। लोगों की मानें तो शासन में तैनात अधिकारी खासकर विभागीय सचिव अपनी पसंद के अनुसार सरकारों कारों का प्रयोग करते हैं। उनके पास जितने विभाग हैं, उतनी ही कारें भी मिली हैं। हालांकि राज्य समंपत्ति विभाग उनको एक-एक वाहन ही जारी करता है, लेकिन विभागों के पास जो वाहन हैं। अधिकारी उनका खूब प्रयोग करते हैं। सवाल मंत्रियों पर भी उठ रहे हैं। नियमानुसार मंत्रियों को भी एक-एक कारें मिलने चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं है। वह अपनी सुविधा के अनुसार कारें बदल लेते हैं। देखना यह होगा कि कम खर्च करने और राज्य की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं होने को लेकर चिंतत सीएम इस मामले में क्या एक्शन लेते हैं।
हैलो उत्तराखंड न्यूज से बात करते हुए सचिव राज्य संपत्ति विनय शंकर पांडे ने कहा कि कारों का आवंटन नियमानुसार ही किया जाता है। एक अधिकारी को एक ही कार दी जाती है।