देहरादून: दून स्थित केंद्रीय शिक्षण संस्थान एनआईवीएच में छात्राओं के साथ शिक्षक द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप मामले में उतराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संज्ञान लिया है। हैलो उत्तराखंड न्यूज़ से एक्स्क्लूसिव बातचीत में आयोग की सदस्या सीमा डोरा ने मामले में सख्त रुख अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर मामला है। इससे पहले भी एनआईवीएच में ऐसा ही मामला सामने आ चुका है। उस मामले में भी आयोग ने सख्त रुख अपनाते हुए आरोपी शिक्षक के खिलाफ कार्यवाही करवाई थी। वहीँ ताजा मामले में सीमा डोरा ने कहा कि, बच्चों के यौन शोषण के मामले काफी गंभीर व शर्मनाक हैं और आयोग द्वारा ऐसे मामले में दोषियों को बख्सा नहीं जयेगा, क्योकि आयोग के गठन का उद्देश्य ही बच्चों का हित है।
उन्होंने कहा कि, स्कूल खुलने पर मामले में सीधे बच्चों से बातचीत की जाएगी व दोषियों को इसकी सजा दिलाई जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने लोगों व बच्चों से अपील की है कि, इस तरह के किसी भी अपराध को ना सहें व मामले से आयोग को अवगत कराएं। ऐसे मानसिकता वाले लोगों को सजा मिलनी चाहिए।
बता दें कि, छात्राओं ने आरोप लगाया था कि अध्यापक उन्हें समझाने के बहाने उनके शरीर को आपत्तिजनक ढंग से छूते हैं। छात्राओं ने शिक्षकों के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की है, किंतु विद्यालय प्रबंधन छात्राओं की मांग को सिरे से नकार रहा है। इस विद्यालय में सैकड़ों नेत्रहीन छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, किंतु यह स्कूल काफी लंबे समय से नेत्रहीन छात्र-छात्राओं के साथ यौन उत्पीड़न के लिए चर्चित रहा है। कुछ समय पहले ही एक शिक्षक एक छात्र के साथ दुष्कर्म करने पर जेल में है। एक शिक्षक पर छात्राओं ने बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह शिक्षक क्लास रूम का दरवाजा बंद कर छात्राओं से छेड़छाड़ करता है और विद्यालय प्रशासन भी इस शिक्षक के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर रहा है।