देहरादून: हरक सिंह रावत को उनके चुनावी मैनेजमेंट और उनके महिलाओं से जुड़े विवादों के लिए जाना जाता है। उनका अब एक नया चेहरा खुलकर सामने आया है कि वो सरकारें गिराने की महाराथ भी रखते हैं। वैसे तो हरक सिंह पहले से ही बेबाक राय रखते आए हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से वो कुछ ज्यादा की बेबाकी से अपनी बात रख रहे हैं। ये कहा जाता है कि हरक सिंह रावत तब तक कोई बयान नहीं देते, जब तक उनको उसमें सियासी फायदा नजर नहीं आता। अब उन्होंने एक नया बयान दिया है, जिससे एक बार फिर सियासी गलियारों में चर्चा जारों पर है।
हरक सिंह के बयान के सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं। उसका कारण भी खास और गंभीर है। दरअसल, हरक सिंह रावत ने विधानसभा सत्र में एनडी तिवारी को श्रद्धांजलि देने के दौरान कहा कि उन्होंने नारायण दत्त तिवारी की सरकार गिराने के लिए 28 विधायक अपने साथ कर लिए थे। उनके इस काम में विजय बहुगुणा ने उनका पूरा साथ दिया था। इससे एक बात तो साफ हो गई है कि हरक सिंह रावत और विजय बहुगुणा ने एनडी तिवारी से लेकर हरीश रावत की सरकारों को गिराने की षडयंत्र रचा था।
अब अगर उनके इस बयान को वर्तमान राजनीतिक परिस्थियों से जोड़कर देखा जाए तो हरक सिंह रावत ने फिर से साबित किया कि वो एक बेहद कूटनीतिक सियासतदां हैं। पिछले कुछ दिनों से सरकार और संगठन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। हाल ही में चर्चा मे रहा स्टिंग प्रकरण भी हरक सिंह रावत को खुद के साथ जोड़ता हुआ नजर आया। दअरसल, ये पूरा विवाद उनके बेटे की शादी से ही शुरू हुआ था। जानकारों की मानें तो उसी शादी में हरक सिंह के साथ मिलकर स्टिंग की पूरी स्क्रिप्ट लिखी गई थी। वहीं, निकाय चुनाव के बाद सरकार और संगठन के बीच उभरे विवाद के बाद हरक सिंह रावत ने मौके की गंभीरता को देखते हुए अजय भट्ट गैरसैंण विरोधी बयान के समर्थन में बयान दिया था। साथ ही टिकट वितरण के दौरान उनको नहीं पूछे जाने के कारण कोर्टद्वार में पार्टी प्रत्याशी की हार होने की बात भी कही थी।
उनके इस बयान को इस परिपेक्ष में भी देखा जा रहा है कि हरक सिंह रावत कहीं कोई नई चाल तो नहीं चल रहे हैं। एनडी तिवारी सरकार गिराने की बात वो अब खुलेआम स्वीकार चुके हैं। हरीश रावत सरकार भी उन्होंने और विजय बहुगुणा ने मिलकर गिराई थी। विजय बहुगुणा तब भी राज्यसभा जाना चाहते थे। अब भी जाना चाहते थे, लेकिन सफल नहीं रहे। कहीं ऐसा तो नहीं कि हरक सिंह रावत सरकार को चेता रहे हों, कि उनको नजर अंदाज करना सरकार पर भारी पड़ सकता है। इन तमाम सवालों के बीच हरक सिंह रावत के बयान ने सियासी तूफां फिर खड़ा कर दिया है।