देहरादून: अकेले ही 50 लाख पौधे रोपने वाले महामानव और वृ़क्षमानव जैसी उपाधियों से नवाजे गए टिहरी जिले की सकलाना पट्टी के पुजार गांव निवासी विश्वेश्वर दत्त सकलानी का निधन हो गया। 98 साल के सकलानी की मौत का किसी को पहले पता नहीं चला। सुबह जब उनके बेटे संतोष सकलानी चाय देने गए तो वो उठे नहीं। उन्होंने बताया कि रात को स्वस्थ थे। खाना खाकर सो गए थे।
संतोष सकलानी राजभवन में बतौर प्रोटोकॉल अधिकारी तैनात हैं। उन्होंने बताया कि अभी उनके तीन भाई गांव आएंगे। उसके बाद अंतिम संस्कार के किया जाएगा। सकलानी का जन्म दो जून 1922 को हुआ था। बचपन से विश्वेश्वर दत्त को पेड़ लगाने का शौक था, लेकिन 11 जनवरी 1956 को जब उनकी पत्नी शारदा देवी का देहांत हुवा तो उन्होंने पौधरोपण को अपना लक्ष्य बना लिया। उस समय सकलाना का क्षेत्र वृक्षविहीन था।
धीरे-धीरे उन्होंने बांज, बुरांश और देवदार के पौधे लगाने शुरू किए। करीब 1200 हेक्टेयर से भी अधिक क्षेत्रफल में उन्होंने जंगल तैयार किया। एक अनुमान के मुताबिक विश्वेश्वर दत्त सकलानी ने करीब 50 लाख से ज्यादा पेड़ अपने जीवन में लगाए। उनके लिए पौध रोपण ही सबकुछ था। उन्होंने लिखा था कि …धरती मेरी किताब, तीन किलो की कुदाल मेरी कलम, पेड़ मेरे शब्द, फूल और पत्तियां मात्राएं।