असम: संसद के शीतकालीन सत्र में नागरिकता (संशोधन) बिल, 2016 को मंजूरी देने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव का असम में विरोध हो रहा है। बंद का आह्वान कृष्ण मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) और असम जतियातावादी युवा छात्र परिषद द्वारा किया गया है। इस बंद में कांग्रेस के साथ-साथ कई राजनीतिक पार्टियों ने अपना समर्थन दिया है। केंद्र के प्रस्ताव के विरोध में राज्य के करीब 40 संगठनों ने 12 घंटों के लिए असम बंद का ऐलान किया है। बंद को देखते हुए राज्यग के कई इलाकों में बाजार बंद हैं और सड़कों पर वाहन नहीं चल रहे हैं। बंद के दौरान कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर विरोध दर्ज करा रहे हैं। बंद का ऐलान कृष्ण मुक्ति संग्राम समिति और असम जतियातावादी युवा छात्र परिषद द्वारा की गई है। कांग्रेस पार्टी ने भी इस बंद को अपना समर्थन दिया है। इस दौरान कई जगह से हिंसा की खबरें भी सामने आईं हैं। यहां तिनसुकिया में लोगों ने सड़कों पर टायर जलाकर अपना विरोध जताया है।
राज्य के अधिकांश जिलों में हो रहे प्रदर्शन का असर आम-जनजीवन पर पड़ा है। बंद के दौरान कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर विरोध दर्ज करा रहे हैं। असम के जोरहाट जिले से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक परिवहन के बसों पर पथराव किया है। बंद का असर राज्य के तकरीबन सभी जिलों में देखने को मिल रहा है। यहां सभी दुकानें बंद हैं और सार्वजनिक और निजी वाहनों के परिचालन पर रोक लगा दी गई है।
वहीं इस बंद को लेकर राज्य सरकार ने साफ कहा है कि बंद बुलाना कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ है। राज्य सरकार ने कहा कि किसी भी प्रकार की क्षति के लिए बंद बुलाने वाले संगठन जिम्मेदार होंगे और उन्हें इसकी भरपाई करनी होगी। बता दें कि गृह मंत्रालय के साथ जेपीसी की होने वाली बैठक का भी विरोध किया जा रहा है।
नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 को लोकसभा में ‘नागरिकता अधिनियम’ 1955 में बदलाव के लिए लाया गया है। केंद्र सरकार ने इस विधेयक के जरिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना वैध दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है। इसके लिए उनके रहने की समय अवधि को 11 साल से घटाकर 6 साल कर दिया गया है। यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
इस बिल के तहत सरकार अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के प्रयास में है। यह बिल लोकसभा में 15 जुलाई 2016 को पेश हुआ था।जबकि 1955 नागरिकता अधिनियम के अनुसार, बिना किसी प्रमाणित पासपोर्ट, वैध दस्तावेज के बिना या फिर वीजा परमिट से ज्यादा दिन तक भारत में रहने वाले लोगों को अवैध प्रवासी माना जाएगा।