देहरादून: नगर निगम का चुनावी दंगल दिन-प्रति-दिन अपने चरम की ओर बढ़ रहा है। चुनाव के साथ कुछ ऐसी घटनाएं भी सामने आ रही हैं, जो चिंता में डालती हैं। खासकर चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों के लिए। हाल ही में बागेश्वर में अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों ने आरक्षण का विरोध करने वाले लोगों को वोट ना मांगने की अपील करते बोर्ड लगाए थे। अब देहरादून के रिस्पनानगर में बस्ती अवैध, वोट अवैध के बैनर टंग गए हैं।
रिस्पना नगर के नाम से बसी अवैध बस्ती को ध्वस्त करने से बचाने के लिए भाजपा सरकार अध्यादेश लाई थी। नतीजतन अवैध बस्तियों को ध्वस्त करने का कोर्ट का आदेश तीन साल के लिए स्थगित हो गया। लेकिन, जिस तरह से बस्ती में बैनर लगे हैं। उसने भाजपा-कांग्रेस दोनों की चिंता बड़ा दी है। बस्ती में जो बैनर लगाया गया है, वह चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल, यह बस्ती अवैध है, लेकिन वोटों के लिहाज से इसकी की खासी अहमियत है।
फिलहाल इस बात का अंदाजा नहीं लगाया जा सका है कि ये बैनर कांग्रेस के लिए चेतावनी है या फिर भाजपा के लिए। असल मामला यह है कि जब कांग्रेस सरकार में थी, तब कांग्रेस ने नियमितिकरण का प्रयास किया था। उसका भाजपा ने विरोध किया था। इस मर्तबा भाजपा अध्यादेश लाई तो कांग्रेस ने बस्ती को नियमित करने की मांग करते हुए विरोध किया था। इस लिहाज से मामला दोनों ही दलों के लिए चुनौती है।
बस्ती वालों ने हालांकि कुछ साफ नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा है कि बस्ती को अवैध घोषित किए जाने के बदले के रूप में पूरे बस्ती वाले चुनाव का बहिष्कार कर सकते हैं। इस लिहाज से ये खबर केवल राजनीति पार्टियों के लिए ही नहीं, बल्कि चुनाव आयोग और प्रशासन के लिए भी बड़ी चुनौती मानी जा रही है। अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग क्या एक्शन लेता है।