देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आज की गई घोषणाओं से राज्यों को वित्तीय संसाधन उपलब्ध होंगे और गांवों को लौटे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार मिलेगा। ग्रास रूट तक स्वास्थ्यगत ढांचे को मजबूती मिलेगी और गुणवत्ता परक डिजिटल एजुकेशन का नया अध्याय शुरू होगा। मुख्यमंत्री ने इन सभी घोषणाओं के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केन्द्रीय वित्त मंत्री का आभार व्यक्त किया है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की परिस्थितियों में जो भी किया जा सकता है, केन्द्र सरकार कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रूपए के पैकेज के अंतर्गत बहुआयामी कदम उठाए गए हैं। प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के साथ व्यापक सुधार भी किए जा रहे हैं, जिससे आत्मनिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने राज्यों के उधार लेने की सीमा को बढाए जाने का अनुरोध किया था। इसे स्वीकार करने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री और केन्द्रीय वित्त मंत्री का धन्यवाद किया। हेल्थ और वैलनेस सेंटर राज्य सरकार की स्वास्थ्य नीति का प्रमुख केन्द्र रहा है। अब हमें हेल्थ और वैलनेस सेंटर स्थापित करने में और सुविधा मिलेगी।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में मनरेगा के लिए 40 हजार करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन से गांवों में रोजगार के अवसर बङी संख्या में उपलब्ध होंगे। इससे विशेष तौर पर वापस लौटकर आए प्रवासी श्रमिकों को काम मिलेगा। स्वास्थ्य क्षेत्र में सार्वजनिक व्यय को बढाने से हमारा स्वास्थ्यगत ढांचा मजबूत होगा। हेल्थ रिसर्च को प्रोत्साहित किया जाएगा। ग्रासरूट स्वास्थ्य संस्थानों में निवेश में वृद्धि होगी। हेल्थ व वैलनेस सेंटरों में सुविधाएं बढेंगी। जिला ब ब्लाक स्तर पर संक्रामक रोग अस्पताल व पब्लिक हेल्थ लैब की स्थापना से हमारे हेल्थ सिस्टम का गांवों तक विस्तार होगा। टेक्नोलॉजी ड्राइवन एजुकेशन को प्रमुखता दी गई है। पीएम ई-विद्या के अंतर्गत विद्यालय शिक्षा के लिए दीक्षा योजना से डिज़िटल प्लेटफॉर्म पर क्वालिटी एजुकेशन उपलब्ध रहेगी। वन क्लास वन चैनल एक बङा कदम है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को आगे बढाया गया है। इससे हमारे उद्योग जगत को वर्तमान कठिन परिस्थितियों से उबरने में काफी मदद मिलेगी। नई सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम नीति से कार्यकुशलता में सुधार होगा और उत्पादन व रोजगार बढेगा। राज्यों के लिए उधार की सीमा को जीएसडीपी के 3 प्रतिशत से बढाकर 5 प्रतिशत किया गया है। इससे राज्यों को वित्तीय संसाधन जुटाने में बहुत मदद मिलेगी।
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