अल्मोड़ा: अल्मोड़ा नगर पालिका क्षेत्र में मांस की दुकानें बगैर लाईसेंस के चल रही हैं। जबकि नियम यह है कि मांस की दुकानों पर मांस को बेचने के लिए लाने से पहले बकरे का स्लटर हाउस में स्वास्थ्य परीक्षण कराना होता है। उसके बाद ही बकरे, मुर्गें का मांस बचने के लिए दुकानों पर लाया जा सकता है, लेकिन यहां दुकानों के ही लाईसेंस नहीं बने हैं। बिना लाईसेंस के दुकानें संचालित करने को लेकर लोग कई बार पालिका अधिकारियों पर दुकान संचालकों से कमीशन लेकर जेब मोटी करने का आरोप लगा चुके हैं। इससे जहां पालिका को नुकसान हो रहा है। वहीं, लोगों के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है।
नगर पालिका क्षेत्र में बकरे के मांस की 16, मुर्गा और मछलियों की 30 दुकानें बिना लाईसेंस के चल रही हैं। इस ओर ना ही नगर पालिका का ध्यान है और ना ही स्वास्थ्य व खाद्यान विभाग का। नगर पालिका से सटी मीट, मांस की दुकानें जिला मजिस्ट्रेट से मात्र 50 मीटर की दूरी पर हैं। लोगों की शिकायत के बाद भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इससे ऐसा लगता है कि जिला प्रशासन, स्वास्थ्य, खाद्यान विभाग और नगर पालिका जानबूझकर आंखें बंद किए हुए हैं। मीट की दुकानों के चारों ओर गंदगी का अंबार लगा रहता है। जिससे आने जाने वाले राहगीरों को यहां आने वाली बदबू से भी परेशानियों का सामना करना पडता है। आपको बता दें कि अल्मोड़ा नगर पालिका के तहत मीट-मांस की दुकानों की लाईसेंस वैधता 31 मार्च को खत्म हो गयी है। लेकिन, करीब डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी अभी तक मांस की दुकानों के लाईसेंस नवीनीकरण नहीं किया गया है।