मासूम से रेप के मामले में सजा सुनाते हुए जज ने सुनाई कविता

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राजस्थान: 

                                                                   वह मासूम नाजुक आंगन की कली थी
                                                                 मां-बाप की आंख का तारा थी अरमानों से बनी थी.
                                                               जिसकी मासूम अदाओं से मां-बाप का दिल बन जाता था
                                                                कुछ छोटी सी बच्ची थी ढ़ंग से बोल नहीं पाती थी.

राजस्थान में मासूम बच्ची से रेप के आरोप में एक आरोपी को जज ने बेहद कम समय में फांसी की सजा सुनाई है। मामला झुंझुनू अदालत में चल रहा था। महज तीन साल की बच्ची से रेप के मामले में दोषी को फांसी की सजा दी है। फैसला सुनाकर जज ने एक बेहद भावुक कविता भी सुनाई। जानकारी के अनुसार घटना 2 अगस्त को डाबड़ीधीर सिंह गांव में हुई थी। तीन साल की मासूम से विनोद बंजारा नाम के फेरीवाले ने दुष्कर्म किया था।

तीन साल की मासूम अपनी नानी के यहां रहने आई थी बच्ची घर के बाहर खेल रही थी और वहां विनोद बंजारा फेरी लगाकर बर्तन बेच रहा था। उसने घर में बच्ची को अकेला देखा और उसकी नीयत खराब हो गई और उसने बच्ची के साथ हैवानियत के बाद उसे लहूलुहान हालत में छोड़ दिया। बाद में दोषी को पकड़ लिया गया। दोषी विनोद बंजारा के खिलाफ पुलिस ने 19 दिन पहले चार्जशीट दाखिल की थी।

मासूम के साथ की गई दरिंदगी के दोषी को मौत की सजा सुनाते वक्त जस्टसि नीरजा दाधीच बेहद भावुक हो उठीं और फैसले में कविता लिखकर सुनाई।न्यायाधीश नीरजा दाधीच ने मामले को रेयरेस्ट बताते हुए एक मार्मिक कविता का भी जिक्र किया। खास बात है कि वारदात होने के बाद बेहद कम दिनों में ही ये फैसला आया है। जज ने अपने फैसले में कहा कि इस तरह के काम कर सजा पाने वाले लोगों को समाज में सुधार का कोई हक नहीं मिलना चाहिए।

कविता

वह मासूम नाजुक आंगन की कली थी
मां-बाप की आंख का तारा थी अरमानों से बनी थी.
जिसकी मासूम अदाओं से मां-बाप का दिल बन जाता था
कुछ छोटी सी बच्ची थी ढ़ंग से बोल नहीं पाती थी.
दिखाकर जिसकी मासूमियत उदासी बन जाती थी
जिसने जीवन के केवल तीन बसंत ही देखे थे.
उससे यह हुआ अन्याय कैसे विधि के लेखे थे
एक 3 साल की बेटी पर यह कैसा अत्याचार हुआ.
एक बच्ची को दंगों से बचा नहीं सके ऐसा मुल्क लाचार हुआ
उस बच्ची पर जुल्म हुआ वह कितना रोई होगी.
मेरा कलेजा फट गया तो मां कैसे सोई होगी
इस मासूम को देख मन में प्यार भर जाता है.
देख उसी को मन में कुछ हैवान उतर आता है
कपड़ों के कारण होते हैं रेप, कहे उन्हें कैसे बतलाऊं मैं.
आज 3 साल की बच्ची को साड़ी कैसे पहनाऊं मैं
अगर अब भी न सुधर सके तो एक दिन ऐसा आएगा
इस देश को बेटी देने में भगवान भी घबराएगा.

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