देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि, मार्केट की मांग के अनुसार हस्तशिल्प के उत्पाद तैयार कराए जाने चाहिए। आवश्यकता होने पर इसके लिए योग्य डिजायनरों की सेवाएं ली जाएं। वास्तविक शिल्पकारों को लाभ पहुंचाया जाना सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री हथकरघा व हस्तशिल्प विकास परिषद के शासी निकाय की आठवीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, हस्तशिल्प में उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल विशेष तौर पर रिंगाल व बांस की उपलब्धता पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। भीमल के रेशे के उपयोग पर भी काम किया जा सकता है।
बैठक में बताया गया कि, भारत सरकार की एकीकृत हस्तशिल्प विकास एवं प्रोत्साहन योजना के तहत 15 सामान्य सुविधा केंद्र स्थापित किए गए हैं। चयनित विकासखण्डों में 7700 टूल किट, शिल्पियों को वितरित किए जा चुके हैं। उत्तरकाशी के नाकुरी व पिथौरागढ़ के मुन्स्यारी व धारचूला में ऊनी शिल्प पर जबकि काशीपुर व श्रीनगर में काष्ठ शिल्प के तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरे किए जा चुके हैं। प्रदेश के शिल्प उत्पादों को बाजार उपलब्ध करवाए जाने के लिए विभिन्न मेला प्रदर्शनियों के साथ ही परिषद को गर्वन्मेंट ई-मार्केट (GeM) पोर्टल पर पंजीकृत कराया जा चुका है। नाबार्ड के सहयोग से देहरादून, काशीपुर, चमोली व पिथौरागढ़ में ग्रामीण हाट विकसित किए जा रहे हैं।