उधमसिंह नगर: जिला पुलिस को रविवार को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। जहाँ माओवादी गतिविधियों में संलिप्त दो अभियुक्तों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। रविवार को क्षेत्राधिकारी सितारगंज के नेतृत्व में किच्छा व नानकमत्ता पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर इन्हें दबोचा। इन्हें आनन्दपुर मोड़ (थाना किच्छा) के पास आम के बगीचे से दबोचा गया।
गिरफ्तार दोनों व्यक्तियों में पहले व्यक्ति का नाम रमेश भट्ट उर्फ मनीष मास्टर उर्फ दिवाकर उर्फ भट्ट पुत्र लक्ष्मी दत्त भट्ट निवासी ग्राम दुमका बंगर हल्दूचौड़ थाना लालकुंआ, नैनीताल तथा दूसरे व्यक्ति का नाम मनोज कुमार सिंह उर्फ अरविन्द पुत्र रतन सिंह निवासी ग्राम हल्दुआ पो. ओ. गेरेही थाना सैयद रजा, जिला चन्दौली उप्र है। दोनो व्यक्तियों की तलाशी लेने पर इनके कब्जे से प्रतिबन्धित माओवादी साहित्य, पुस्तकें एवं पम्पलेट बरामद की गयी। मनीष मास्टर उर्फ रमेश भट्ट पूर्व में वर्ष 2004 व 2007 में पंजीकृत माओवादी सम्बन्धी अपराध में वांछित एवं 10,000 रू का ईनामी अपराधी है।
पूछताछ के दौरान यह बात प्रकाश में आयी कि, उक्त दोनो व्यक्ति लम्बे समय से माओवादी गतिविधयों में शामिल रहे तथा उत्तराखण्ड जोनल कमेटी के सक्रिय सदस्य रहे। वर्ष 2003-2004 के दौरान सोफटिया हंसपुर खत्ता थाना चोरगलिया, नैनीताल में चलाये गये माओवादी कैम्प में शामिल रहे तथा पुलिस की दबिश के उपरान्त बच निकलने में कामयाब रहे। उक्त कैम्प में रमेश भट्ट आम जनता को माओवादी विचारधारा के प्रति जागृत कर भड़काने एवं जनवादी सरकार कायम करने के प्रति उकसाता था। अरविन्द उर्फ मनोज समस्त कैम्प का संयोजन, व्यवस्थापक एंव मास्टर माइंड रहा।
कैम्प के संचालन के उपरान्त इनके द्वारा वर्ष 2005 में हुये मधुबनी बिहार में नक्सली हमले में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया गया तथा इस दौरान ‘‘ऑपरेशन धमाका‘‘ के अन्तर्गत थाना मधुबन पूर्वी चम्पारन जिला मोतीहारी बिहार में एक साथ 300 माओवादियों द्वारा 09 स्थानों, जिनमें पुलिस स्टेशन, सांसद आवास, ब्लॉक आदि शामिल रहे, में हमला किया गया। इस हमले में रमेश भट्ट अग्रिम टुकड़ी में रहकर सांसद के घर पर हमले में अग्रणी भूमिका में सक्रिय रहा। इस हमले में कई लोगो की जान गई व अनेक लोग गम्भीर रूप से घायल हुये। जिस संबंध में पंजीकृत एफआईआर में भी उक्त रमेश भट्ट वांछित चल रहा है। इसके अतिरिक्त इस दौरान इनके द्वारा बलिया, फर्रूखाबाद आदि में समय-समय पर उत्तराखण्ड जोनल कमेटी की मीटिंग आयोजित की गयी, जिसमें सेण्टर कमेटी के मेम्बर भी मौजूद रहे, और अग्रिम रणनीती निर्धारित की गई। इन्ही बैठकों में निर्धारित रणनीती के क्रम में उक्त दोनो माओवादियों को तराई क्षेत्र, विशेषकर संगठित एवं असंगठित मजदूरों को माओवादी विचारधारा के प्रति उकसाने एवं शामिल करने की जिम्मेदारी दी गयी। इनके द्वारा इसी रणनीति के अंतर्गत अलग-अलग फैक्ट्री में काम करके मजदूर असंतोष को बढ़ाने का कार्य किया जा रहा था। इनकी पकड़ से तराई क्षेत्र में काफी हद तक इनके नेटवर्क को ध्वस्त करने में कामयाबी मिली है। जिला पुलिस की इस कामयाबी पर अपर पुलिस महानिदेशक द्वारा रू 10,000/- पुलिस महानिरीक्षक महोदय द्वारा रू 10000/- तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय द्वार रू 5000/- का ईनाम घोषित किया गया है।