नई दिल्ली: RBI, केंद्र सरकार को 1 लाख 76 हजार करोड़ से ज्यादा का सरप्लस ट्रांसफर करेगी। रिजर्व बैंक ने ये जानकारी सोमवार को एक बोर्ड मीटिंग के बाद दी। RBI ने अपने बयान में कहा, “केंद्रीय बोर्ड की बैठक में स्वीकार किए गए रिवाइज्ड इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क के मुताबिक सरप्लस ट्रांसफर में साल 2018-19 का 1,23,414 करोड़ रुपये सरप्लस और 52,637 करोड़ अतिरिक्त प्रावधानों से आया पैसा शामिल है।”
बयान में कहा गया है कि, पूर्व आरबीआई गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिश पर सरप्लस केंद्र सरकार को ट्रांसफर किए जाने का फैसला लिया गया। आरबीआई सेंट्रल बोर्ड ने कमेटी की सभी सिफारिशों को मंजूर कर लिया। आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अगुवाई में 6 सदस्यीय कमेटी का गठन ये आकलन करने के लिए किया गया था कि आरबीआई सरप्लस की कितनी राशि सरकार को ट्रांसफर कर सकती है और कितनी राशि उसे अपने पास रखनी चाहिए।
बता दें कि केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच रिजर्व को लेकर मतभेद हो चुके हैं। इसी तनातनी के बीच ही रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने अपने पद से इस्तीफा तक दे दिया था।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री आर्थिक संकट का समाधान नहीं ढूंढ़ पा रहे। राहुल ने सरकार पर आरबीआई का धन हड़पने का आरोप भी लगाया।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया- यह रहस्यमयी संयोग है या सुनियोजित षड्यंत्र कि आरबीआई से ली गई 1.76 लाख करोड़ रुपए की राशि भाजपा सरकार द्वारा पेश किए गए बजट की ‘गायब’ राशि के बराबर है? क्या यह रकम भाजपा के दिवालिया पूंजीपति मित्रों को बचाने के लिए है ? क्या ये आर्थिक समझदारी है?
यूपीए सरकार में वाणिज्य मंत्री रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देश की आर्थिक स्थिति पर कई तरह की आशंकाएं प्रकट कीं और कहा कि सरकार देश को दिवालियेपन की तरफ धकेल रही है।
सरप्लस क्या है?
आरबीआई को विभिन्न प्रकार के बांड में किए गए निवेश से नियमित आय होती है। इस आय में से एक हिस्सा वह आकस्मिक जरूरतों की पूर्ति के लिए अलग कर देता है, जो सीएफ का हिस्सा बन जाता है। आय में से आकस्मिक निधि को निकालने के बाद जो राशि बच जाती है, उसे सरप्लस कहते हैं। यह सरप्लस आरबीआई सरकार को हस्तांतरित कर देता है। आय में से आकस्मिक निधि के लिए अधिक राशि निकाली जाएगी, तो सरप्लस कम होगा। वहीं आकस्मिक निधि के रूप में कम राशि निकाली जाएगी, तो सरप्लस अधिक होगा।
इस बार आरबीआई ने रिकॉर्ड सरप्लस कैसे हस्तांतरित किया
पिछले साल आरबीआई ने मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया था और भारी लाभ के साथ डॉलर को बेचा था। इसके अलावा उसने रिकॉर्ड स्तर पर ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) को भी अंजाम दिया था। ओएमओ के तहत आरबीआई बांड खरीदता है, जिससे उसे आय होती है। इस लिए आरबीआई को बहुत अधिक कमाई हुई थी। इसके अलावा बिमल जालाना समिति ने आबीआई के लिए इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क का सुझाव दिया है। इसके तहत आरबीआई के पास आकस्मिक परिस्थितियों में जितनी संपत्ति होनी चाहिए, उससे अधिक राशि उसके पास थी। इसलिए आरबीआई ने सरप्लस के रूप में बड़ी राशि सरकार को हस्तांतरित की।