नई दिल्ली: साल 2019 में मंदी के दौर में कंपनियों के साथ-साथ लोगों पर भी असर दिखा। इस साल पिछले छह सालों में सबसे कम लोगों को नौकरी मिली। भारत की बेरोजगारी दर अक्तूबर माह में तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। सरकारी कंपनियों में नौकरी मिलने में गिरावट देखने को मिली है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी कंपनियों और बैंकों में नौकरी के लिए लोगों की संख्या में 2.6 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। पिछले एक साल की बात करें तो रोजगार देने के मामले में कोल इंडिया में 4.4 फीसदी और भारतीय स्टेट बैंक में 2.6 फीसदी की कमी देखने को मिली है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, अक्तूबर में बेरोजगारी दर 8.5 फीसदी रही, जो कि अगस्त 2016 के बाद का सबसे उच्चतम स्तर है। नवंबर में अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सस्टेनेबल इंप्लायमेंट के द्वारा जारी एक शोध पत्र में दावा किया गया कि पिछले छह सालों में लोगों को रोजगार मिलने की संख्या में काफी गिरावट आई है। 2011-12 से लेकर के 2017-18 के बीच 90 लाख लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है। देश के तीन राज्यों में स्थिति सबसे ज्यादा खतरनाक हो गई है। वहीँ सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक त्रिपुरा, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में लोगों को नौकरियां ढूंढने पर भी नहीं मिल रही हैं। सीएमआईई के मुताबिक, 2016 से 2018 के बीच 1.1 करोड़ लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। फरवरी 2019 में बेरोजगारी का आंकड़ा 7.2 फीसदी पर पहुंच गया। वहीं पिछले साल फरवरी में यह आंकड़ा 5.9 फीसदी था।
इसी साल मई में जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारों की संख्या 7.8 फीसदी रही, वहीं ग्रामीण इलाकों में यह 5.3 फीसदी रही थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि नोटबंदी के चलते नई नौकरियों की संख्या में काफी गिरावट आ गई थी, जो अभी संभली नहीं है। वहीँ ऑटो इंडस्ट्री और एविएशन सेक्टर में कई लोगों को नौकरी से निकाला जा चुका है। ऑटो के साथ ही चाय, बिस्किट, कताई जैसे उद्योग में भी लोगों की नौकरियां जा सकती हैं, जिससे बेरोजगारी और बढ़ने की संभावना है। यहाँ भी लागत के मुकाबले बिक्री मूल्य काफी कम होने से बिस्किट कंपनी ने छंटनी की बात कही है।