देहरादून: एक बार फिर महिला के साथ व्यवहार को लेकर त्रिवेंद्र सरकार की किरकरी हुई है। ये मामला भी शिक्षिका का ही है। इस बार शान्तिपूर्ण ढंग से धरना दे रही शीला रावत को गिफ्तार किया गया है। शीला रावत के साथ धरने पर बैठे अन्य साथियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इससे लगता है अब महिलाओं का शांतिपूर्ण धरना भी त्रिवेंद्र सरकार को बर्दाश्त नही है।
बता दें कि, आज शीला रावत को उत्तराखण्ड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (यूसैक) के बाहर धरने पर 73वां दिन हो गया था। वे 13 अप्रैल से धरने पर थी। वहीं 18 जून को जयंत शाह, देवेंद्र रावत, दीपक भंडारी, सोहन सिंह नेगी, अरुण कुमार, मोहन दास को भी सरकार ने कार्यालय से निकाल बाहर किया तो वो भी 18 जून से शीला रावत के साथ धरने पर थे।
दरअसल महेंद्र प्रताप सिंह बिष्ट जिला पौड़ी के श्रीनगर के एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सटी में एसोशिएट प्रोफ़ेसर के पद पर तैनात थे। जो त्रिवेंद्र सरकार की प्रतिनियुक्ति पर उत्तराखण्ड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (यूसैक) में बतौर डायरेक्टर आये। और उन्होंने यहां आते ही सर्वप्रथम 2011 से कार्य कर रही शीला रावत को सेवा से हटा दिया था। शीला पूर्व में कह चुकी है कि, यूसैक के बड़े अधिकारी महिला कर्मियों का उत्पीडन करते हैं। शिकायत करने पर उनको बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया था कि, उत्पीडन का मसला उठाने का खामियाजा उनको नौकरी से हाथ धोकर चुकाना पड़ा। उत्तरा पंत बहुगुणा के बाद शीला रावत की गिरफ्तारी भी अब त्रिवेंद्र सरकार के लिए गले की हड्डी बन सकती है।
वहीँ जानकारी के मुताबिक, गिरफ्तारी के लिए पहुंची पुलिस के साथ उनकी तीखी नोक झोंख भी हुई। शीला रावत ने मोबाइल छुपाकर पूरी घटना का फेसबुक लाइव विडियो किया। उनका आरोप है कि, एक ओर सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढाओ की बात करती है, वहीं दूसरी ओर इस तरह महिलाओं का उत्पीडन किया जा रहा।