देहरादून: पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने शनिवार को प्रेसवार्ता आयोजित की। इस अवसर पर उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट 18 अप्रैल को, केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल को, बद्रीनाथ के कपाट 30 अप्रैल को और हेमकुंड साहिब के कपाट 25 मई को खुलेंगे। उन्होंने बताया कि यात्रियों की सुविधा हेतु सुलभ इंटरनेशनल के लिए 2.26 करोड़, विभिन्न पडावों पर सफाई व्यवस्था के लिए 2 करोड़ अवमुक्त किये गये हैं। साथ ही केदारधाम से सोनप्रयाग तक सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट हेतु 86 लाख स्वीकृत किये गये हैं। वहीँ पहली बार यात्रियों के पंजीकरण के लिए मोबाइल एप का निर्माण व यात्रा मार्ग पर पोलीथीन व थर्माकोल का पूर्ण प्रतिबन्ध किया गया है।
जीएमवीएन नहीं करेगा हेली टिकट बुकिंग
वहीँ चार धाम यात्रा के लिए हेली सेवाओं के नियमो को बदले जाने को लेकर हेली ऑपरेटर और टूर ऑपरेटर नाराजगी जता चुके हैं। जहाँ हेली ऑपरेटरों ने विभिन्न नई शर्तों को लेकर विरोध जताया, वहीँ हेली टिकटों की बुकिंग जीएमवीएन को दिए जाने को लेकर टूर ऑपरेटर नाराज हैं। टूर ऑपरेटरों का कहना है कि, वो 4 लाख से भी अधिक लोगों की बुकिंग करा चुके हैं, जिसमें ट्रासपोर्टसियन, होटल के साथ ही हेली टिकटिंग भी शामिल हैं। ऐसे में टिकटिंग का जिम्मा जीएमवीएन को देने से उन्हें कई परेशानियां पेश आ रही हैं। वहीँ जब इस मामले पर पर्यटन मंत्री से सवाल किया गया तो वो इस सवाल से बचते नज़र आये और पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर को इस मुद्दे पर आगे कर दिया।
इस पर दिलीप जावलकर ने कहा कि टूर ऑपरेटर इस पर अपनी परेशानीयों से अवगत करा चुके हैं। इसलिए इस व्यवस्था को अभी सीधे लागू न करके जून से ट्रायल किया जायेगा और तत्पश्चात पूर्ण रूप से लागू कर नियम बना दिया जायेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि इससे किसी को भी कोई नुकसान व परेशानियाँ नहीं आएँगी।
इसके आलावा हेली सेवाओं को लेकर नागरिक उड्डय व पर्यटन विभाग के बीच तालमेल की कमी का भी साफ़ असर चारधाम यात्रा पर भी असमंजस की स्थिति पैदा कर रहा है।
नागरिक उड्डयन विभाग कर रहा पर्यटन विभाग में हस्तक्षेप
चारधाम यात्रा पर्यटन का ही एक हिस्सा है और कायदे से देखा जाय तो यात्रीयों की सम्पूर्ण व्यवस्था पर्यटन विभाग को ही संभालनी चाहिए, जिसमे होटल, ट्रांसपोर्ट तथा हवाई सेवाएं एक अहम कड़ी है। लेकिन इनमे से हवाई सेवाओं की बात करें तो इसको लेकर नागरिक उड्डयन, पर्यटन विभाग पर पूरी तरह से हावी है। इस बात को खुद पर्यटन सचिव द्वारा इशारों में ही बयाँ भी किया जा चुका है। जिसमे वो जम्मू में वैष्णो देवी यात्रा का उदाहरण देकर बता रहे हैं कि, वहां एक ही ट्रस्ट द्वारा पूरी यात्रा की टेंडर से लेकर सभी व्यस्थाओं का संचालन किया जाता है, लेकिन उत्तराखंड में यह व्यवस्था दो से तीन विभागों के बीच पिस कर रह गई है।