देहरादून: महानगर सिटी बस सेवा महासंघ ने आरोप लगाया है कि पुलिस वाहन व्यवसाईयों का उत्पीड़नकर रही है।जबकि शासन द्वारा प्राइवेट व्हीकल मोटर वाहन व्यवसायियों को राहत प्रदान की जाती है । मोटरयान अधिनियम में पुलिस के लिये यातायात सम्बन्धी सुधार एवं अंकुश लगाने के लिए पुलिस कड़े कदम उठा सकती है।
महासंघ अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को पत्र सौपते हुए कहा कि शासन द्वारा वर्तमान समय में सभी चार पहिए एवं उससे उच्चकृत वाहनो में पैनिक बटन लगाये जा रहे है जिसमें परिवाहन के साथ – साथ पुलिस की भूमिका भी अहम होने जा रही है । फिर पुलिस को इतने अधिकारों के अतिरिक्त मोटरयान अधिनियम में जितनी जुर्माने की धाराए हैं उसे पुलिस क्यों लेना चाहती है जबकि दी गई चालानी धाराओं में पुलिस के अतिरिक्त परिवहन विभाग का भी अपना प्रर्वतन दल है तो वह फिर परिवहन विभाग का परिवर्तन दल जिसमें सैकड़ो की संख्या में सिपाही है वह क्या कार्य करेगा । समस्त चालानिंग धाराओं में चालान काटने पर दो विभागों को कार्य करने में समस्या ही आयेगी और जिससें प्रर्वतन दल के सिपाही एवं अधिकारी भी खाली समय व्यतीत करेंगे । जबकि परिवहन विभाग का प्रवर्तन दल शहर के हर भाग में चालान काटने को मुस्तैद रहता है तो फिर परिवहन विभाग को जैसे चैन स्नैचिंग , दुर्घटना करके भागना , चौरी की गाड़ी लेकर भागना और इसके अतिरिक्त और अन्य अपराध जो स्ट्रीट क्राइम से सम्बन्धित है वह दिये जा सकते है । जिससे उक्त अपराधों में रोकथाम लग सकती है।
उन्होंने मांग की है कि भ्रष्टाचार की आशंका को देखते हुए पुलिस विभाग को उपरोक्त में दिये गये मोटर वाहन अधिनियम में जो अपराध शामिल है वह ही अधिकार दिये जाए । इसमें पैनिक बटन वाले अपराध को भी पुलिस में शामिल किया जाए । अधिकारों तक की यदि पुलिस को सीमित किया जाये तो कार्माशियल मोटर वाहन व्यवसाईयों को गैर वाजिब पलिस के चालान काटने के शोषण से निजात मिल जाएगी ।
पुलिस द्वारा अच्छे ढंग से निभाए जा सकते है यह अधिकार
- नो पार्किंग में वाहन खड़ा करना
- रेड लाईट जम्प विपरीत दिशा में वाहनों को ले जाना
- नो ऐन्ट्री में बड़े वाहनों को ले जाना
- ओवर स्पीड
- हेलमेट न पहनना
- टू व्हीलर में ट्रीपल राईडिंग
- सीट वेल्ट न लगाना
- शराब पीकर वाहन चलाना
- मोबाइल पर बात करना