रुद्रप्रयाग: मंहगाई के इस दौर में जहां सरकारी कर्मचारी हो या फिर राजनेता अपनी वेतन व भत्तों को बढाने के लिए हर संभव जुगत में लगे रहते हैं वहीं इस खबर को सुनकर आप जरुर चैंक जायेंगे। जी हां उत्तराखण्ड के फार्मासिस्ट आज भी 4 रुपये का भत्ता पाते हैं वो भी एक जटिल प्रक्रिया के लिए।
स्वास्थ्य विभाग में तैनात फार्मासिस्ट पर दवा वितरण के साथ ही पोस्टमार्टम का भी जिम्मा रहता है। पीएम की प्रक्रिया के दौरान चिकित्सक के साथ ही एक स्वीपर व फार्मासिस्ट की भी ड्यूटी रहती है। जिनका कार्य पीएम सम्बन्धी रिपोर्ट को तैयार करना होता है। पूर्व में इस कार्य के लिए चिकित्सक को 10 रुपये, फार्मासिस्ट को 4 रुपये और स्वीपर को 2 रुपये मिलते थे। इस प्रक्रिया में संशोधन के बाद भत्ते को बढाया गया जिसमें चिकित्सक को 500 रुपये, स्वीपर को 150 रुपये और फार्मासिस्ट के भत्ते को 4 रुपया ही रखा गया।
अब फार्मासिस्टों का कहना है कि सरकार के इस रवेये से वे कुंठित हैं और लम्बे समय बाद भी सरकार उनके भत्ते को नहीं बढा रही है। फार्मासिस्ट संगठन का कहना है कि, उनकी कई मांगे शासन स्तर पर लंबित हैं और सरकार इस दिशा में कोई भी ठोस कार्यवाही नहीं कर रही है।
एक ही कार्य के लिए भत्तों में सरकार द्वारा की गई विसंगतियों से कर्मचारी तो खफा हैं। मगर इस विसंगति से सरकार में बैठे अफसरों की कार्यप्रणाली भी सवाल उठने लाजमी हैं कि आखिर एक ही कार्य के लिए जारी शासनादेश में दो पक्षों की तो सुन ली जाती है मगर एक पक्ष को छोड दिया जाता है ऐसे में कर्मचारियों के भीतर कुंठा का भाव आना तो स्वाभाविक ही है।