देहरादून: राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण एवं आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबन्धन केन्द्र द्वारा आईडियोसिंक मीडिया कम्बाइन के सहयोग से सोमवार को देहरादून के एक स्थानीय होटल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान ‘‘कम्यूनिटी रेडियो फॉर मॉस अवेयरनेस एण्ड डिजास्टर रिस्क रिडक्शन’’ विषय पर चर्चा की गई। कार्यशाला का उद्देश्य राज्य के दूर-दराज क्षेत्रों में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की स्थापना के लिये इच्छुक लोगों को आमंत्रित एवं प्रोत्साहित करना है। इसके अलावा उन्हें राज्य सरकार से अनुदान देकर जन-जागरूकता, आपातकालीन सूचनाओं व विभिन्न विकासपरक योजनाओं से सम्बन्धित सूचनाओं को समुदाय एवं दूर-दराज के क्षेत्रों को पहुंचाना है।
कार्यशाला में सचिव आपदा प्रबन्धन अमित नेगी द्वारा अवगत कराया गया कि आपदाओं की बढ़ती बारम्बारता, तीव्रता व परिमाण में आ रहे नाटकीय परिवर्तनों के लिहाज से आपदा जोखिम न्यूनीकरण आज पूरे विश्व की आवश्यकता बन गया है। उन्होंने कहा कि इन स्टेशनों से प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों में जन समुदाय की खासी भागीदारी और जुड़ाव होता है इसलिये समाज में सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन लाने के उद्देश्य से इनकी स्थापना की जानी नितान्त आवश्यक है। गौरतलब है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार ने अपनी सामुदायिक रेडियो लाईसेन्सिंग नीति को काफी हद तक सरल बनाया गया है जिससे स्थानीय संस्थाएं, विश्वविद्यालय, सिविल सोसाइटी, स्वैच्छिक संस्थान और गैर-सरकारी संगठन इस सामुदायिक रेडियो स्टेशन स्थापित करने के लिये आगे आ सकें। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा सामुदायिक रेडियो स्टेशनों को प्रोत्साहन दिया जायेगा।
वहीं अपर सचिव सविन बंसल ने बताया कि राज्य में नये सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की स्थापना के साथ ही पहले से संचालित रेडियो स्टेशनों की गतिविधियों को प्रोत्साहित कर उन्हें आर्थिक स्वावलम्बन प्रदान किया जाना इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने सामुदायिक रेडियो स्टेशनों को मात्र स्वयं सहायता समूह व गैर सरकारी संस्थाओं तक सीमित न बताते हुये कहा कि यह गढ़वाल व कुमाऊँ के कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में चलाये जाने वाले मास कम्युनिकेशन विषय के लिये भी उपयोगी रहेगा। उन्होंने कहा कि लोकल रेडियो द्वारा किये जा रहे प्रयास काफी सफल रहे हैं।
वहीं मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट ने अपने सम्बोधन में सामुदायिक रेडियो के बहुआयामी उपयोग पर प्रकाश डाला। उन्होंने सामुदायिक रेडियो रियल टाइम डिसेमिनेशन का उपयुक्त स्रोत बताया। सभी विभागों की उपलब्धियों, क्रियाकलापों तथा अन्य सम्बन्धित विज्ञापनों को सामुदायिक रेडियो के माध्यम से प्रचारित-प्रसारित करने के साथ ही राज्य की प्रत्येक विधान सभाओं में 60-70 सामुदायिक रेडियो सैल स्थापित किये जाने की भी उनके द्वारा पुरजोर वकालत की गयी। उन्होंने आश्वस्त किया कि प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए सामुदायिक रेडियो केन्द्रों को सशक्त बनाने के लिये वे मुख्यमंत्री जी से वित्तीय मदद कराएंगे।
आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबन्धन केन्द्र के अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला ने बताया कि सामुदायिक रेडियो स्टेशन प्रोत्साहन नीति के अन्तर्गत राज्य सरकार इच्छुक संस्थान व संगठनों को उनकी कुल परियोजना लागत का 30 प्रतिशत अधिकतम पांच लाख धनराशि तक का अनुदान देगी। उन्होंने बताया कि रेडियो स्टेशनों के आर्थिक स्वावलम्बन व इनकी निरन्तरता बनाये रखने के लिये केन्द्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं हेतु आवंटित बजट में से एक नियत अंश इनके लिये रखा जायेगा। इन रेडियो स्टेशनों द्वारा आपातकालीन सूचनाओं व जानकारियों को अपने कार्यक्रमों में वरीयता दी जायेगी तथा उक्त अवहेलना पर सम्बन्धित रेडियो स्टेशन के लाईसेन्स निरस्त करने की संस्तुति की जा सकती है ।इस मौके पर एक डॉक्यूमेन्ट्री की स्क्रीनिंग भी की गयी।