नई दिल्ली: कर्नाटक के तीन लोकसभा और दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है। यहां जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन ने एक बार फिर खुद को साबित किया है। भाजपा 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से लगातार उपचुनावों में हार का सामना करते आ रही है। आलम यह है कि भाजपा के पास तब 16 सीटें थी, जो अलग-अलग कारणों से खाली हो गईं। इन 16 सीटों में कांग्रेस ने अपनी सीटों की संख्या बढ़ा दी, जबकि भाजपा ने पूरी 10 सीटें गंवाई हैं। इस हिसाब से भाजपा की अब 282 में 272 सीटें ही रह गई हैं।
भाजपा के लिए कर्नाटक के उपचुनाव की हार कोई पहली हार नहीं है। भाजपा लगातार चुनाव हा रही है। जिस तरह बेल्लारी, शिमोगा और मांड्या लोकसभा सीटों में से बेल्लारी और शिमोगा सीट भाजपा के पास थी। जबकि मांड्या सीट जेडीएस के पास थी। उपचुनाव नतीजे में बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई राघवेंद्र येदियुरप्पा ही शिमोगा सीट से जीत हासिल कर सके हैं।
देश में 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से अभी तक 30 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। भाजपा की मजबूत सरकार की ओर से तमाम उपलब्धियां गिनाए जाने के बावजूद भाजपा एक के बाद एक अपनी जीती हुई सीटों को गंवाती जा रही है। देश के अलग राज्यों में अब तक जिन 30 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। उनमें से 16 सीटें भाजपा के पास थीं। लगातार हार के बाद अब इनमें से महज 6 सीटें ही बीजेपी बरकरार रख सकी है। इस तरह से भाजपा अपनी 10 सीटें हार चुकी है।
2018 में 10 सीटों पर उपचुनाव में भाजपा को केवल दो पर जीत मिल पाई है। 2017 में चार सीटों पर उपचुनाव हुए, जिन में से भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली। वहीं, 2016 में पांच सीटों पर उपचुनाव हुए, इनमें भाजपा को महज दो सीटें ही मिल पाई। 2015 में भी तीन सीटों पर उपचुनाव हुए। यहां भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली। इससे पहले 2014 में पांच सीटों पर उपचुनाव हुए, इनमें भाजपा को दो सीटें ही मिल पाई।