जन जन की आकांशाओं और उम्मीदों पर टिके लोकायुक्त औऱ ट्रांसफर एक्ट अब एक महिने के लिए प्रवर समिति के पास चला गया है। यानि की अब आप भष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ने और सरकारी कर्मचारियों के तबादले में पारदर्शिता लाने वाले इन महत्वपूर्ण एक्ट पर सरकार से कोई सवाल नहीं कर सकते क्योकिं अगर आपने सवाल किया तो प्रवर समिति का हवाला देकर आपका सवाल खत्म कर दिया जाएगा। लेकिन क्या अब हम ये सवाल 57 सीटों के पूर्ण बहुमत के साथ विधानसभा पहुंची सरकार से कर सकते है कि आखिर सदन में पूर्ण बहुमत होने के बावजूद भी इऩ एक्टों को पास कराने में एक महिने का और इंतजार क्यों ? औऱ अगर विपक्ष के कहने पर इसे संशोधन के लिए प्रवर समिति के हवाले किया है तो फिर सवाल उठता है कि आखिर सदने के भीतर बिना तैयारी के इन बिलों को लाने में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई गई ? हालांकि जब से त्रिवेंद्र सरकार ने मोर्चा संभाला है तब से ही वे सख्त कदम उठा कर अपने जिरो टॉलरेंस की घोषणा को अमलीजामा पहनाने का भरपूर प्रयास कर रही हे और सरकार के इन कदमों की तारीफ भी होनी चाहिए। अब बस प्रदेश के लौगों की ये उम्मीद है कि ये कदम अपने पांच सालों में उन सभी मंजिलों को पा ले जिनको पाने के सपने हमारे ये नीती-नियंता हमें पिछले 16 सालों से दिखा कर वोट पा रहे हैं।