थराली: उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाकें इन दिनों मौसम की मार झेल रहे है। यहां मौसम ने इस तरह से तबाही मचाई हैं कि लोग दर-दर भटकने को मजबूर हो गये हैं। प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में इन दिनों भारी बारिश के चलते काफी नुकसान हुआ हैं। कई जगहों पर बादल फटनेे से तो कई जगहों पर भूस्खलन ने लोगों की परेशानियों को बढ़ा दिया हैं। कई दुर्गम क्षेत्रों में तो लोग बेघर हो गये हैं। लेकिन प्रशासन सिर्फ यह कहकर पल्ला झाड़ देता है कि स्थितियां काबू में हैं। स्थितियां किस तरह से काबू में हैं इस बात का अंदाजा ग्रामीणों की पीड़ा सुनकर लगाया जा सकता हैं। थराली विधानसभा भी इन दिनों आपदा की मार झेल रही है। यहां 15 जुलाई की रात को आई भारी बारिश से कई जगह बादल फटे जिससे लोगों की परेशानियां बढ़ गई। देवाल विकासखण्ड के दूरस्थ वाण, कुलिंग,दीदना गांव अभी भी देश और दुनिया से कटे हैं। यहां आई आपदा के 12 दिन बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। बता दें कि देवाल विकासखण्ड के कुलिंग गांव में रह रहे 68 परिवारों में से लगभग 10 परिवार पलायन कर चुके हैं। लगभग 10-12 परिवार आपदा के कारण यहां फंसे हैं, और बाकी बचे परिवारों पर गांव के ठीक नीचे हो रहे भूस्खलन का खतरा मंडराया हुआ है। इसके अलावा लगभग 16 परिवारों ने अपने घर छोड़ दिए हैं क्योंकि अब उनके घर रहने लायक नहीं बचे हैं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि भारी बारिश के चलते उनके गांव को भूस्खलन से खतरा बना हुआ है साथ ही वाण सहित अन्य गांवों का संपर्क भी पूरी तरह से टूट चुका है। जिससे उनकी परेशानियां बढ़ गई हैं। कुलिंग ओर वाण को जोड़ने वाला मार्ग ओर पुलिया भी ध्वस्त हो चुकी है। ग्रामीण अपने संसाधनों से लकड़ी की पुलिया बनाकर आवाजाही करने को मजबूर हैं साथ ही बेघर हो चुके ग्रामीण सड़क किनारे टैण्ट लगाकर रह रहे हैं। हालांकि लोक निर्माण विभाग की टीम कुलिंग में वैली ब्रिज बनवाने के लिए तैयार है लेकिन जिस गति से काम हो रहा है उससे जल्द व्यवस्थाएं दुरस्त होना संभव नहीं हैं। इसके अलावा वाण को जोड़ने वाले कर्जन ट्रैक मार्ग पर भी पुलिया बह गई थी जिसे ग्रामीणों ने अपने संसाधनों से बनाया था लेकिन भारी बारिश के चलते ये पुलिया भी बह गई।
गौरतलब है कि इसी कर्जन ट्रैक से होते हुए गढ़वाल कुमाऊँ की अधिष्ठात्री देवी माँ नंदा की डोली यात्रा जाती है जो अगस्त माह से चलनी शुरू हो जाएगी लेकिन जिस तरह से सड़क के हालात है उससे इस यात्रा का शुरू हो पाना भी संभव नहीं हैं। बता दें कि सोमवार को यहां प्रभारी मंत्री का कार्यक्रम तय था लेकिन बारिश के चलते उनके कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा। बड़ा सवाल यहां पर यह है कि जब बारिश के चलते प्रभारी मंत्री आपदाप्रभावित क्षेत्र में नहीं पहुंच पाते हैं तो वहां ग्रामीण कैसे रह रहे होंगे।
वहीं जब थराली उपजिलाधिकारी रोहित मीणा से इस बारे में बात की गई तो उपलाधिकारी ने सीधे तौर पर बात करने से मना कर दिया हालांकि प्रशासन की इस उदासीनता के बाद तहसीलदार थराली ने जानकारी देते हुए बताया कि जो पुलिया भारी बारिश के चलते बह गई है उसके स्थान पर वैली ब्रिज लगाने का कार्य शुरू कर दिया गया है। साथ ही पेयजल की क्षतिग्रस्त लाइनों को ठीक कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि जिन गांवों से खाद्यान की शिकायतें आ रही थी वहां खाद्यान की आपूर्ति भी की जा रही है। भले ही प्रशासन ये दावा कर रहा है कि स्थितियां काबू में हैं लेकिन जिस तरह से गांवों की स्थिति है, लोग दर दर भटकने को मजबूर है उससे प्रशासन के सारे दावें फेल होते नजर आ रहे है। हालांकि बड़ा सवाल ये है कि आखिर कबतक इस क्षेत्र में लोगों को परेशानियों से निजात मिल पाएगी?