देहरादून: बेरोजगारों पर किये गए भीषण लाठीचार्ज की वार्षिकी पर मंगलवार को उत्तराखण्ड बेरोजगार संघ की एक महत्वपूर्ण बैठक नगर निगम के समीप आहूत की गई। 26 मार्च 2018 को बैठक में भीषण लाठीचार्ज में घायल हुए डीएवी के पूर्व छात्रसंघ महासचिव सचिन थपलियाल ने कहा कि, जब-जब बेरोजगारों ने सरकार से रोजगार पर सवाल किया तो, सरकार ने बेरोजगारों को डंडों और प्रताड़ना के अलावा कुछ नही दिया है।
उन्होंने कहा कि, उत्तराखण्ड के बेरोजगारों के हक के लिए हम हर प्रकार का उत्पीड़न सहन करने के लिए तैयार हैं। इस अवसर पर संगठन के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि, विगत 26 मार्च 2018 को हुए लाठीचार्ज के बाद कई बेरोजगार युवाओं पर सरकार ने उत्पीड़न की दृष्टि से मुकदमें भी ठोक दिए हैं जो कि सरासर तानाशाही मनोवृत्ति को दिखा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को अविलंब बेरोजगारों पर लगे मुकदमें वापस लेने चाहिए और अपनी नीतियों में सुधार करते हुए बेरोजगारी की समस्या पर कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए।
विदित हो कि विगत 26 मार्च 2018 को देहरादून के परेड ग्राउंड से सचिवालय कूच के दौरान पुलिस ने बेरोजगारों पर लाठीचार्ज किया था जिसके चलते छात्रसंघ के नेताओं समेत कई बेरोजगारों को गंभीर चोटें आई थी। इस अवसर पर संगठन के कमल कांत ने कहा कि आज उत्तराखण्ड के बेरोजगार युवा ऐसा महसूस कर रहें हैं कि न तो सरकार उनकी सुध ले रही है और न ही अन्य राजनीतिक दल इस मुद्दे पर संवेदनशील है।
बैठक में गंभीर विमर्श करते हुए प्रस्ताव पारित किया कि उत्तराखण्ड में सरकार द्वारा बेरोजगारो की उपेक्षा और उत्तराखंड के विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा मित्र विपक्ष की भूमिका से प्रदेश के युवा बेहद आहत व आक्रोशित हैं। जिसके चलते निर्णय लिया कि आम चुनाव 2019 में पक्ष औऱ मित्र विपक्ष को स्पष्ट संदेश देने के तहत नोटा के प्रचार-प्रसार को मजबूती से आगे ले जाने पर सर्वसम्मति बनी।
संगठन ने प्रदेश के सभी बेरोजगारों एवं सभी मतदाताओं से अपील की है कि इस बार बड़ी से बड़ी संख्या में मतदान के लिए आगे आये और ईंवीएम पर नोटा का बटन दबाकर प्रदेश के युवाओं की आवाज को राष्ट्रीय मंच प्रदान करें। बैठक में विचार रखने वालों में संगीता, वीरेश चौधरी, गिरीश सिंह, रवि नेगी, मेहर राणा, सुशील कैंतुरा, सत्यम रांटा,लुसुन टोडरिया समेत कई छात्र उपस्थित रहे।