देहरादून: हम उत्तराखंड बनाने का जश्न जरूर मनाते हैं, लेकिन आज तक कोटद्वार से देहरादून आने के लिए लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग नहीं बना पाया। जिसके चलते लोगों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अपने राज्य में टैक्स देने के साथ ही टैक्सी संचाल्कों को यूपी पुलिस और परिवहन विभाग को भी वसूली देनी पड़ती है।
दरअसल, उत्तराखंड बनने के बाद कोटद्वार के रास्ते गढ़वाल से जो भी टैक्सियां हरिद्वार और देहरादून के लिए आती हैं। उनको सरकार ने लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग आवंटित किया हुआ है। मार्ग आवंटित तो कर दिया, लेकिन मार्ग आजतक वाहनों के चलने लायक नहीं बन पाया। जंगल से होकर जाने वाले मार्ग पर जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है। कई बार केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति मिलने और काम शुरू करने के दावे किए गए। कुछ जगहों पर मार्ग पर टल्ले भी चिपकोए गए, लेकिन आज तक मार्ग नहीं बन पाया। मजबूरन टैक्सी संचालकों को नजीबाबाद से होकर टैक्सियों का संचालन करना पड़ता है।
गंभीर बात ये है कि उत्तर प्रदेश मोटर-वाहन एक्ट 1998 के तहत उत्तर प्रदेश की सीमा से संचालित होने वाले बाहरी राज्यों को उत्तर प्रदेश को टैक्स देना होगा। परेशानी ये है कि उत्तराखंड के टैक्सी संचालक उत्तराखंड परिवहन विभाग को टैक्स देते हैं। ऐसे में वो उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग को टैक्स नहीं दे सकते। उनकी मजबूरी ये है कि लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग नहीं बन पाने के कारण नजीबाबाद से ही वाहनों का संचालन करना पड़ता है।
जिसका खामियाजा उनको रास्ते में यूपी परिवहन विभाग के लुटेरे कर्मचारियों और वसूलीबाज यूपी पुलिस को 50-50 रुपये प्रति चक्कर के हिसाब से देना होता है। इससे जहां उत्तराखंड के लोगों पर किराए का अतिरिक्त बोझ पड़ता है। टैक्सी संचालकों की कमाई का एक हिस्सा भी चला जाता है। वहीं, यूपी परिवहन विभाग को भी करोड़ों का चूना लगता है। दरअसल, जो पैसा लिया जाता है, वो विभाग के पास नहीं पहुंचता। ऐसे में एक तरफ जहां उत्तराखंड के टैक्सी संचालक सरकारों की लापरवाही और विफलताओं के चलते लुट रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर यूपी परिवहन विभाग और पुलिस को हफ्ता-वसूली से चपत लग रही है। कम उत्तराखंड के पुलिस वाले भी नहीं हैं। कोटद्वार की कौड़िया टैक पोस्ट नजीबाबद से आने वाली टैक्सियों और ट्रकों से वसूली के लिए बदनाम है।
इसका समाधान सरकारों को ही करना है। टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष रहे अमर दीप सिंह ने बिजनौर जिले के डीएम को पत्र लिखा है। साथ ही उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के राज्यपालों को भी पत्र लिखा है कि दोनों राज्यों के बीच अंतरराज्जीय परिवहन व्यवस्था को बढावा दिया जाए। सरकारों को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। वरना लोग ऐसे ही लुटते रहेंगे।