देहरादून : सरकार क्या कर रही है…? यह सवाल हर किसी के जेहन में उठता है। आम नागरिक होने के नाते। उठना भी चाहिए। क्या देवभूमि उत्तराखंड में इतने भयंकर गुंडे हो गए कि बेटियों को पुलिस सुरक्षा में स्कूल जाना पड़े। यह सवाल तो सरकार से ही पूछा जाएगा ना? किसी और से पूछना हो तो राज्य की पुलिस से पूछा जा सकता है, लेकिन पुलिस भी तो राज्य की ही है। यहां तो कोई दूसरा बाॅस नहीं है। दिल्ली की तरह। क्यों नहीं सरकार सख्ती करती। प्रदेश की राजनधानी की सबसे मुख्य और वीआपी सड़क राजपुर रोड। इस रोड़ पर सरकार छात्राओं को स्कूल छोड़ने के लिए एस्काॅर्ट का प्रबंध करने जा रही है। ठीक है। आपको हमारी बेटियों की चिंता है। सवाल यह है कि आखिर ऐसे हालात क्यों पैदा हो रहे हैं? क्या पुलिस काम नहीं कर रही? पुलिस के कई अधिकारियों के आवास तो इसी रोड पर हैं। फिर छात्राओं को किसका डर? इससे बात यह भी साफ़ हो गयी है कि अपराधियों को पोलिस का कोई दर ही नहीं रह गया है। सरकार राजधानी में कानून व्यवस्था के मसले पर पूरी तरह घिर चुकी है। आलम यह है कि अब सरकार के प्रवक्ता भी कुछ कहने से कतरा रहे हैं।
मेरी एक मांग भी है। क्या आप पहाड़ के उन किसानों, उन छोटे बच्चों, उन महिलाओं, उन बुजुर्गों के लिए भी एस्काॅर्ट की व्यवस्था करेंगे, जिनको आए दिन गुलदार मारकर खा जा रहा है। स्कूल जाने से बच्चे डरते हैं। मां-बाप किसी तरह उनको भेज भी देते हैं, तो इसलिए सांसे अटकी रहती हैं कि कहीं उनको रास्ते से गुलदार ना उठा ले जाए। क्या उन खेतों के लिए भी एस्काॅर्ट का प्रबंध करेंगे, जिनमें लहलहाती खेती को जंगली जानवर चैपट कर रहे हैं? क्या पहाड़ के लिए भी ऐसा एस्काॅर्ट तैयार करेंगे, जिससे वहां लोगों को रोजगार मिले, शिक्षा मिले, स्वास्थ्य मिले, बिजली और साफा पानी मिले। क्या आप ऐसा एस्काॅर्ट तैयार करेंगे कि हर बार मानसून में हमारे लोग नदियों में बहकर ना मरें। एस्काॅर्ट करना है तो पहाड़ के उन गावों के लिए करिए, जिन तक पंहुचने के लिए लोगों को तारों पर सरकती मौत की ट्राली से जान जोखिम में डालकर जाना पड़ता है।
साबह ऐसे काम नहीं चलेगा। आप दीजिए हमारी बेटियों को एस्काॅर्ट। उनकी चिंता हमें भी है, लेकिन इस सवाल का जवाब भी देना पड़ेगा कि, आपकी पुलिस क्या कर रही है। अगर आपके पास पुलिस कम है, तो भर्ती कीजिए। पुलिस को पीएचडी, इंजीनियरिंग डिग्री हासिल कर चुके बेरोजगार और होनहार युवा मिल जाएंगे। उनमें ऐसे मनचलों को ठीक करने की ताकत भी है और समझ भी। क्यों नहीं भर्ती करते युवाओं को। क्या उनको केवल लाठी ही खानी है।
एक और बात शिक्षा मंत्री जी शिक्षा का स्तर ऐसे सुधरेगा क्या? कभी भोजन मंत्र, कभी गायत्री मंत्र, मास्टर जी की ड्रैस, कभी प्लस-माइनस। ऐसे तो कुछ नहीं होने वाला। आप बयान जबरदस्त देते हैं। उस मामले में आपका फैन बनने में कोई परेशानी भी नहीं है। चिंता का विषय यह है कि हमारे छोटे राज्य की छोटी और अस्थाई राजधानी में ऐसे हालात आखिर पैदा क्यों हो रहे हैं? क्या इनको सुधारा नहीं जा सकता या फिर सुधारना ही नहीं चाहते? अगर प्रदेश में छात्राओं को एस्काॅर्ट कर स्कूल भेजना पड़ रहा है, तो इससे भयानक बात और कुछ हो नहीं सकती। पिछले दिनों देश को महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से सबसे खतरनाक माना गया था। इस लिहाज से वह सर्वे कहीं ना कहीं सही बैठता है। पिछले दिनों आईनेक्सट में भी एक रिपोर्ट छपी थी। उसमें सरकारी आंकड़े ही प्रदेश में महिला सुरक्षा की पोल खोल रहे थे। महिलाओं और छात्राओं की सुरक्षा तो ठीक है, लेकिन इस पर भी गहनता से चितंन करना होगा कि आखिर ऐसे हालात क्यों पैदा हो रहे हैं ?
—प्रदीप रावत (रवांल्टा)