प्रयागराज : कुंभ मेले में स्नान करती महिलाओं की फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी किए जाने पर हाईकोर्ट नाराज है और स्नान घाटों पर फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने स्नान करती महिलाओं की फोटो प्रिंट मीडिया में न छापे जाने का निर्देश दिया है। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर भी स्नान करती महिलाओं की वीडियो फुटेज पर प्रतिबंध लगाया है। हाईकोर्ट ने फोटोग्राफी वीडियोग्राफी पर रोक का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है। सख्त लहजे में कहा है कि मीडिया द्वारा आदेश की अवहेलना करने पर नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि इस समय कुंभ का महापर्व पूरे भव्य तरीके से मनाया जा रहा है और कुंभ क्षेत्र के 40 से अधिक स्नान घाटों पर स्नान करते लोगों की फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी का क्रम पूरे चरम पर है। इस प्रक्रिया पर रोक लगाने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने संगम स्नान के दौरान फोटोग्राफी वीडियोग्राफी पर रोक लगा दी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने बताया गया कि उत्तर प्रदेश मेला प्राधिकरण अधिनियम में भी घाट पर फोटोग्राफ लेने पर प्रतिबन्ध लगाया है। जबकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी पूर्व में घाट से 100 मीटर के क्षेत्र में फोटोग्राफी प्रतिबंधित की थी। हालांकि, कोर्ट के आदेश और मेला प्राधिकरण के नियमावली को कड़ाई से लागू नहीं किया गया जिसका असर या रहा है कि कुंभ मेले के दौरान न स्नान करती महिलाओं की फोटो ना सिर्फ प्रिंट मीडिया में छपने लगे, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी ऐसी ही वीडियो पूरी दुनिया के सामने परोसी जा रही है।
इस पर कुछ सामाजिक संगठनों ने एतराज जताया और इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर स्नान घाटों पर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर रोक लगाने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल और न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने फोटोग्राफी वीडियोग्राफी पर रोक लगाने की याचिका पर मेला प्राधिकरण व राज्य सरकार दोनों से जवाब भी तलब किया है। साथ ही इस मामले पर 5 अप्रैल को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। इस याचिका पर अगली सुनवाई 5 अप्रैल को होगी। कोर्ट ने मीडिया को स्नान घाटों की फोटोग्राफी वीडियोग्राफी करने पर रोक का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है।