नई दिल्लीः बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। सीबीआई कोर्ट ने मामले में 14 साल बाद फैसला सुनाया है। बता दें, 2005 में हुई इस हत्या का आरोप बसपा विधायक मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी समेत पांच लोगों पर था। जिन्हे आज बरी कर दिया गया है।
आपको बता दें कि यूपी के गाजीपुर की मुहम्मदाबाद विधानसभा सीट से तत्कालीन बीजेपी विधायक राय को 29 नवंबर 2005 को उस वक्त गोलियों से भून दिया गया था, जब वह सियारी नाम के गांव में एक क्रिकेट टूर्नमेंट का उद्घाटन करके लौट रहे थे। इस हमले में कृष्णानंदर राय समेत 7 लोगों की मौत हुई थी। 2013 में विधायक कृष्णानंद राय की पत्नी अल्का राय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। मउ से विधायक मुख्तार अंसारी के खिलाफ दर्जनों मामले दर्ज हैं। इन मामलों में हत्या और मर्डर के केस भी शामिल हैं। इस हत्याकांड में बाहुबली बसपा विधायक मुख्तार अंसारी अभी जेल में हैं, जबकि अफजाल अंसारी पेरोल पर बाहर हैं। इसमें से मुन्ना बजरंगी की बीते दिनों जेल में हत्या कर दी गई थी। इस मामले की सुनवाई विशेष जज अरुण भरद्वाज कर रहे थे।इस मामले को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से दिल्ली कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था।
मुख्तार अंसारी मऊ निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य के रूप में रिकॉर्ड पांच बार विधायक चुने गए हैं। अंसारी ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एक उम्मीदवार के रूप में अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता था। 1996 में अंसारी पहली बार बसपा की टिकट से चुनाव जीते थे। 2002 में और 2007 में उन्होंने निर्दलीय होकर चुनाव लड़ा और दोनों बार जीत हासिल की। बाद में 2007 में ही वो फिर से बसपा में शामिल हो गये. उसके बाद बसपा ने उन्हें 2009 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी की सीट से लड़ाया, मगर वो असफल रहे। मगर साल 2010 में आपराधिक गतिविधियों की वजह से बसपा ने अंसारी को पार्टी से निकाल दिया। इसके बाद उन्होंने अपने भाइयों के साथ मिलकर अपनी पार्टी कौमी एकता दल का गठन किया। वह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2012 में मऊ सीट से विधायक चुने गए। 2017 में बसपा के साथ कौमी एकता दल का विलय कर दिया गया और बसपा उम्मीदवार के रूप में अंसारी विधानसभा चुनाव में पांचवीं बार विधायक के रूप में जीते।
अंसारी के लिए 2017 का चुनाव काफी अहम था. क्योंकि इस चुनाव में ‘बाहुबली’ को मात देने के लिए पीएम मोदी ने कटप्पा को चुनावी मैदान में उतारा था. खुद प्रधानमंत्री मोदी ने मऊ की जनसभा में उन्हें ‘बाहुबली’ कहते हुए कहा था इस ‘बाहुबली’ के खात्मे के लिए उन्होंने अपना ‘कटप्पा’ मैदान में उतारा है. पीएम मोदी ने ‘कटप्पा’ इसलिए कहा था क्योंकि इस सीट पर भाजपा ने राजभरों की पार्टी भारतीय समाज पार्टी के उम्मीदवार महेंद्र राजभर को गठबंधन के तहत उतारा था. मगर बसपा के इस ‘बाहुबली’ मुख्तार ने कटप्पा को 7464 मतों से हराया था