रुद्रप्रयाग: जनपद की ऐतिहासिक धरोहर पंचकेदार गद्दी स्थल उखीमठ के कोठा भवन का जल्दी ही जीर्णोद्धार होने जा रहा है। इसके लिए बद्रीकेदार मंदिर समिति की गठित उप समिति तमाम तैयारियों में जुटी है।
उत्तराखण्ड की काष्ठ शिल्प निम्दरी-तिबारी स्वरूप पर बनने वाले कोठा भवन के प्रथम चरण में प्रत्येक सैक्शनों की फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी कर दी गयी है। दूसरे चरण में तकनीकी साध्यता के लिए निदेशक, भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण व मृदा परीक्षण के लिए भी निदेशक सीबीसीआर रुडकी को पत्र भेज दिया गया है।
दोनों रिपोर्टों के आते ही वास्तुकार के द्वारा उत्तराखंड की पौराणिक शिल्प शैली के आधार पर कोठा भवन का रचना तैयार कर तीसरे चरण में निर्माण कार्य भी शुरु कर दिया जायेगा। मंदिर समिति का दावा है कि उनके पास धन की कोई कमी नहीं है और अगर निमार्ण के दौरान धन की कमी आती है तो देश के कई दान-दाताओं ने उन्हें मदद का भरोशा दिया है।
पंचकेदारों का गद्दी स्थल व महाराजा मान्धाता की तपस्थली ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ का पौराणिक कोठा भवन जर्जर हालत में है। यहीं पर बाणाशुर की पुत्री उषा व श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्व की शादी हुई थी तभी से यहां का नाम उखामठ पडा था। यही वह स्थान है जहां पर ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ की छह माह शीतकालीन पूजाएं होती हैं।
पूर्व में मंदिर समिति के पास धन का अभाव होने के कारण केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग महाराज ने पीएम मोदी को कोठा भवन के पुनर्निर्माण के लिए सौ करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया था लेकिन अब मंदिर के सीईओ बीडी सिंह का कहना है कि धन की कोई कमी नहीं है। कुछ तकनीकी विषयों पर विवरण आनी बाकी है उसके पश्चात हक हकूक धारि रावल, पुजारियों व विशेषज्ञों की राय लेकर उत्तराखण्ड की पौराणिक शिल्प कला पर आधारित कोठाभवन का निर्माण किया जायेगा।
लम्बे समय के बाद मंदिर समिति ऐतिहासिक कोठा भवन का नये तरीके से निर्माण करने जा रही है, पौराणिक धरोहर का स्वरूप बरकरार रहे इसके लिए समिति हर कदम फूंक- फूंक कर रख रही है। जिससे श्रद्धालुओं की भावनाएं भी आहत ना हो और कोठा भवन अपने ऐतिहासिक नये स्वरूप में अपनी पौराणिकता को बरकरार रखे।