प्रदीप रावत
देहरादून : बुरा ना मानो होली है। कहावत ठीक भी है। लोग अक्सर होली पर दुश्मनी भुलाकर एक दूसरे को गले भी लगा लेते हैं। पर बेचारे हरीश रावत जी पूर्व के मुख्यमंत्री, केंद्र के मंत्री और भी न जाने क्या-क्या रहे। उनको उत्तराखंड के कांग्रेसी भाव ही नहीं दे रहे। हरीश रावत ने पूरी मेहनत से खाने-पीने का प्रबंध किया, पर कोई खाने वाला नहीं आया। उल्टा कह दिया बुरा न मानो होली है। भला ऐसे भी कोई करता है…। भला ऐसे भी कोई करता है। इतना सबकुछ होने के बाद राजनीति के मंझे खिलाड़ी हरीश रावत कहां चुप रहने वाले थे। उन्होंने भाजपा पर जमकर तंज कसा। ट्वीट कर लिखा कि मैने तो भाजपा प्रदेश अजय भट्ट और हरिद्वार सांसद निशंक के लिए नीरब मोदी अबरी और विजय माल्या जैसे गुलाल रखे थे। बड़े-बड़े बर्तनों में चाशनी भी बनाई थी…खैर…मैं इन बर्तनों को अब भाजपा कार्यालय में रख आऊंगा। कम से कम उनकी होली तो शुभ हो।
हुआ ऐसा कि हरीश रावत ने होली मिलन का कार्यक्रम आयोजित किया था। बहुत सारे लोगों को निमंत्रण भी दिया। बहुत आए भी, लेकिन जिनको आना था, वो आए नहीं। वैसे तो उनको पिछले कई दिनों से प्रदेश के कांग्रेसियों ने बूढ़ा कहकर किनारे कर रखा है, लेकिन इस होली में तो पूरी तरह उनसे किनारा ही कर लिया। हरीश चाचा ने किशोर उपाध्याय को भी बुलाया था। ताकि किशोर अब तक की सारी कड़वाहट मीठी गुजिया खाकर दूर कर ले, पर किशोर नहीं पहुंचे। लोगों ने पूछा तो किशोर ने कह दिया…मैंने तो कसम ले रखी है कि हार के एक साल तक किसी भी कार्यक्रम में नहीं जाऊंगा। प्रदेश कांग्रेस के मुखिया प्रीतम सिंह भी हरीश रावत के कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। तजुर्बेकार प्रीमत ने हरीश रावत को बहानों में टरका दिया। अब बारी थी अम्मा जी, यानि इंदिरा हृदयेश की। अम्मा ने झटक से कह दिया मैं हल्द्वानी में हूं। खड़ी होली शुरू हो गई है। मैं अपने आवास में लोगों को बैठकर ही रंग लगा रही हूं। आ नहीं पाऊंगी। बेचारे हरीश रावत इंतजार ही करते रह गए।
अब जरा इधर-उधर से सीधे इधर पर आते हैं। दरअसल, पिछले कुछ दिनों से हरीश रावत और प्रदेश कोंग्रेस के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। हरीश रावत को पार्टी के कार्यक्रम में नहीं बुलाया जाता हो तो, वो खुललकर ट्वीट कर नाराजगी जाहिर कर देते हैं। दो दिन पहले ही उनको कांग्रेस के संविधान संशोधन समिति का सदस्य बनाया गया। उनको जिम्मेदारी मिलने पर कांग्रेसियों ने शोसल मीडिया पर हरीश रावत को खूब बधाई दी, लेकिन जब उनके होली मिलन कार्यक्रम में जाने की बारी आई तो सबने कन्नी काट ली और उनको कह दिया बुरा ना मानो होली है। राजनीतिक जानकारों को भी कांग्रेस के इस गृह युद्ध ने उलझा कर रख दिया है। कुछ उलझन एनएस-74 मामले को लेकर भी है। एसआईटी जांच का फंदा गले पड़ने के बाद समीकरण कुछ बदले हुए नजर आ रहे हैं। किशोर से पूछताछ हो चुकी है। सुनने में आ रहा है कि अब हरीश रावत की बारी है। लोग कह रहे हैं कि कांग्रेसियों को इसी का डर सता रहा है कि कहीं हरीश रावत से मिले तो एसआईटी न घेर ले। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस की यह जंग क्या होली बीतने के बात क्या रंग लाती है।