देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत 7 जुलाई से 26 जुलाई तक वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिये प्रदेश के भाजपा विधायक वाले विधानसभा क्षेत्रों के विकास कार्यों की समीक्षा करेंगे।
मुख्यमंत्री के मुख्य निजी सचिव सुरेश चन्द्र जोशी ने जानकारी देते हुए बताया कि, 7 जुलाई को प्रातः 11.00 बजे मुख्यमंत्री द्वारा जनपद देहरादून के विधानसभा क्षेत्र विकासनगर, सहसपुर, धर्मपुर, राजपुर रोड, देहरादून कैंट, मसूरी, डोईवाला, ऋषिकेश व रायपुर की समीक्षा की जायेगी। इसके बाद 9 जुलाई को 12.00 बजे जनपद हरिद्वार के विधानसभा क्षेत्र हरिद्वार शहर, बी.एच.ई.एल.(रानीपुर), ज्वालापुर, झबरेडा, रूड़की, खानपुर, लक्सर व हरिद्वार(ग्रामीण) की समीक्षा की जाएगी। वहीं 10 जुलाई को प्रातः 11.00 बजे जनपद ऊधमसिंह नगर के विधानसभा क्षेत्र काशीपुर, बाजपुर, गदरपुर, रूद्रपुर, किच्छा, सितारगंज, नानकमत्ता व खटीमा के साथ ही 13 जुलाई को प्रातः 11:00 बजे जनपद चमोली व रूद्रप्रयाग के विधानसभा क्षेत्र बद्रीनाथ, थराली, कर्णप्रयाग व रूद्रप्रयाग की समीक्षा की जायेगी। इसके बाद 19 जुलाई को प्रातः 11:00 बजे जनपद नैनीताल के विधानसभा क्षेत्र लालकुंआ, नैनीताल, कालाढूंगी व रामनगर और 20 जुलाई को प्रातः 11.00 बजे जनपद पिथौरागढ़ व चम्पावत के विधानसभा क्षेत्र डीडीहाट, पिथौरागढ़, गंगोलीहाट, लोहाघाट व चम्पावत के साथ ही 23 जुलाई को प्रातः 11:00 बजे जनपद अल्मोड़ा व बागेश्वर के विधानसभा क्षेत्र द्वाराहाट, सल्ट, सोमेश्वर, अल्मोडा, बागेश्वर व कपकोट की समीक्षा की जायेगी। 24 जुलाई, 2018 को प्रातः 11:00 बजे जनपद पौड़ी गढ़वाल के विधानसभा क्षेत्र यमकेश्वर, पौड़ी, श्रीनगर, चैबट्टाखाल, लैंसडौन व कोटद्वार और 26 जुलाई को अपराह्न 3:00 बजे जनपद उत्तरकाशी व टिहरी के विधानसभा क्षेत्र घनसाली, देवप्रयाग, नरेन्द्रनगर, प्रतापनगर, टिहरी, यमुनोत्री व गंगोत्री की समीक्षा की जायेगी।
वहीँ इस पर कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने सवाल उठाते हुए कहा कि, मुख्यमंत्री क्या 13 विधानसभाओं के लोग उत्तराखंड के नागरिक नहीं हैं? क्या इन 13 विधानसभा के लोगों को विकास नहीं चाहिए है? या आपकी सरकार बनने के बाद इन 13 विधानसभाओं में कोई विकास कार्य हुआ ही नहीं जिन की समीक्षा आप कर सकें?
आगे उन्होंने कहा कि, मुख्यमंत्री के निजी सचिव की ओर से एक पत्र जारी कर राज्य की 57 विधानसभाओं (जहाँ से भाजपा के विधायक जीते हैं), के विकास कार्यों की समीक्षा का कार्यक्रम जारी किया है। राज्य की विधान सभा के विकास कार्यों की समीक्षा के इस कार्यक्रम से कांग्रेस के 11 विधायकों और 2 निर्दलीय विधायकों की विधानसभाएं गायब हैं।
उन्होंने कहा कि, मुख्यमंत्री जी शायद आप यह भूल गए हैं कि आपने संविधान की शपथ ली है। आपने शपथ ली थी कि आप राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करेंगे। खैर लोकतंत्र पर और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आपका और आपकी पार्टी का भरोषा कहाँ था। आप क्यों कांग्रेसी विधायकों और निर्दलीय विधायकों की समीक्षा भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के साथ नहीं करना चाहते हैं? या आपके अनुसार इन विधानसभाओं के विकास कार्यों की समीक्षा होनी ही नही चाहिए?
खैर अब बीबीसी जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने आपको जिन उपाधियों से नवाजा है उससे यह सिद्ध हो जाता है आप लोकतांत्रिक सरकारों में असली और अंतिम निर्विवाद राजा हैं। फिर आप क्यों विरोधियों की परवाह करेंगे? या आप जिन 13 विधानसभाओं में जहां कांग्रेस पार्टी के या निर्दलीय विधायक जीते हैं उन विधानसभाओं के विकास कार्यों की समीक्षा करना ही नहीं चाहते।
मुख्यमंत्री बनने के बाद स्वयं को बहुत ही लोकतांत्रिक मुख्यमंत्री सिद्ध करने के लिए घोषणा की थी कि, हर विधायक को एक साल में 10 करोड़ की सड़कें दी जाएंगी और एक साल में उनकी संस्तुति पर 50 लाख रुपए मुख्यमंत्री राहत कोष से जरूरतमंदों को दिए जाएंगे लेकिन आप 1 साल के आंकड़ों को उठाकर देखें तो कांग्रेस के विधायकों को कुछ भी नहीं दिया गया है।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि, मुख्यमंत्री भले ही आप कांग्रेस के विधायकों को विकास योजनाएं न दें, लेकिन कम से कम गरीब बीमारों और जरूरतमंदों को आवश्यकता पड़ने पर कुछ सहायता तो दें। मुख्यमंत्री जी उत्तरा कांड और पौड़ी की महिला के पत्थर मारकर भगाने वाले बयान के बाद इस आदेश को देखकर मैं निश्चिंत हो गया हूं कि आपके साथी, सहयोगी और सलाहकार आप को राजनीतिक रुप से डुबाने में और भविष्य में कभी मुख्यमंत्री की कुर्सी से उतरने के बाद (जिसकी आप कल्पना भी नही कर सकते) दुआ-सलाम से भी दूर करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।