केरल की बाढ़ ‘गंभीर प्रकृति आपदा’ घोषित, अबतक 357 लोगों की मौत

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केरल: केरल में आई भयानक बाढ़ को केंद्र सरकार ने गंभीर प्राकृतिक आपदा घोषित कर दिया है। केरल सदी की सबसे भयावह बाढ़ का सामना कर रहा है, जिसमें सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है। साथ ही हजारों लोग विस्थापित और बेघर हो गए हैं।  केरल में बारिश, बाढ़ और भूस्खलन में अभीतक कम से कम 357 लोगों की मौत हुई है जबकि करीब 10 लाख विस्थापित लोगों ने 5,645 राहत शिविरों में रखा गया है।

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सूबे में बाढ़ का पानी उतरने के साथ ही डेंगू, मलेरिया, हैजा जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। शिविरों में महामारी फैलने के खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने 3,757 चिकित्सा शिविर भी स्थापित कर दिए हैं। साथ ही हर पंचायत में पांच स्वास्थ्य अधिकारी भी तैनात कर दिए गए हैं। वहीं, राज्य के सभी 14 जिलों से ऑरेंज अलर्ट हटा दिया गया है, जबकि इडुक्की, कोझिकोड और कन्नूर में यलो अटर्ल जारी किया गया है। जानकारी के मुताबिक राज्य में करीब 3757 मेडिकल कैंप लगाए गए हैं, जिसमें 90 किस्म की दवाइयां भेजी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि महामारी को फैलने से रोकने की तैयारी की जा रही है। केंद्र सरकार ने 100 मीट्रिक टन दालों के अलावा आवश्यक दवाइयां भेजी हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के सभी जज केरल की मदद के लिए 25-25 हजार रुपये देने का बात कहा है। यह राशि केरल के मुख्यमंत्री राहत कोष को दी जाएगी। सोमवार को एक याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सभी 25 जज बाढ़ राहत कोष में योगदान देंगे। वेणुगोपाल ने बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए एक करोड़ रुपये दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी 30 लाख रुपये दिए हैं।

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