देहरादून: चारधाम यात्राओं के लिए हेली टेंडर मैं विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। नौकरशाहों ने इस टेंडर को जैसे एक पहेली ही बना दी है, जो कि सुलझने का नाम नहीं ही ले रही है। इस टेंडर को देख ऐसा लगता है कि, जैसे नौकरशाह अपने ही बौद्धिकता का परीक्षण कर रहे हों और उसमे भी वो बार-बार फेल साबित हो रहे हैं। यूकाडा ने मार्च माह में हेली सेवा टेंडर आमंत्रित किए थे। तब से टेंडर की शर्तों में अब तक सात बार संशोधन किया गया। छह बार संधोधन के बाद भी हर रूट पर जब सिंगल बिड ही आई, तो मंगलवार को प्रक्रिया निरस्त कर री-टेंडरिंग करनी पड़ी। लेकिन उसमें भी अधिकत्तर पूर्व की ही शर्तों को बरक़रार रखा गया। जिसका नतीजा ये हुआ कि, शर्तें अनुकूल नहीं होने के चलते फिर से ज्यादातर ऑपरेटरों को इसके दायरे से बाहर ही रहना पड़ा।
फलस्वरूप टेंडर में अच्छा रिस्पांस ना मिलने के चलते री-टेंडर में एक दिन में ही फिर से पहला संशोधन किया गया। ताजा संशोधन के अनुसार, टेंडर में भाग लेने वाले आपरेटरों के लिए निर्धारित अनुभव को तीन साल से घटाकर दो साल कर दिया गया है। जबकि, पिछले टेंडर में भी यही किया जा चुका था। तो ऐसे में एक ही शर्त को बार-बार घुमा-फिरा कर फिर से उसी अवस्था में लाया जा रहा है। जिससे इसके जिम्मेदार अधिकरियों की मंशा और कार्यप्रणाली पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं। साथ ही नए संशोधन में आपरेटरों के लिए निर्धारित सिक्योरिटी डिपॉजिट को 25 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दिया गया है।
इसके बाद भी कई शर्तें ऐसी हैं कि, टेंडर में संशोधन होना तय माना जा रहा है। इन शर्तों में एक शर्त के अनुसार, ओपरेटर का 2 हेलीकॉप्टरों पर स्वामित्व होना आवश्यक है। वहीँ इस शर्त से अब तक आवेदित 9 ऑपरेटरों में से लगभग 3 ऑपरेटरों को टेडर प्रक्रिया से अलग रहना पड़ेगा। वहीं एक अन्य शर्त के अनुसार, ऑपरेटरों को 6 महीने तक हेलीकॉप्टरों को राज्य से बाहर नहीं ले जाना होगा, जिससे 3 अन्य ओपेरटरों की भी परेशानी यह है कि, वो अमरनाथ में भी सेवाएं देते हैं, लेकिन इस शर्त के अनुसार, उन्हें भी टेडर प्रक्रिया से बाहर रहना पड़ सकता है।
वहीँ गोविन्द घाट रूट के लिए पिछले टेंडर में आवेदित एक मात्र ऑपरेटर ने ही किया था क्योंकि गोविंदघाट में यात्रियों का इतना जायदा लोड नहीं होता है जिसके चलते ऑपरेटर तो 3 हेलीकाप्टर और एक स्टैंडबाई हेलीकाप्टर रखना पड़ेगा, तो ऐसे में देखना होगा कि, विभाग अब क्या संशोधन करता है या उस रूट पर विभाग की मनमानी के चलते यात्रियों को हवाई सेवा से महरूम होना पड़ेगा।
ऐसे में जिस तरह का मजाक इस टेंडर का बनाया जा रहा है, वह वाकई शर्मनाक है। चारधाम यात्रा का आगाज भी हो चूका है और 29 अप्रैल को केदारनाथ के कपाट भी खुल जायेंगे लेकिन, युकाडा है कि, अभी तक टेंडर प्रक्रिया ही पूरी नहीं कर पाया है। यह एकमात्र टेंडर, विवादों के चलते एक महीने में ही मुख्यमत्री से हाईकोर्ट तक के चौखट तक पहुँच चूका है, लेकिन नौकरशाह हैं कि, अपने खेल से बाज नहीं आ रहे हैं।