केदारनाथ: प्रलय कथा, प्रेम कथा या फिर हिंदू-मुस्लिम हाॅट टाॅपिक

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देहरादून…
केदारनाथ। एक ऐसा नाम, जिसका नाम सुनते ही मन श्रद्धा से भर जाता है। मन में भगवान शंकर की गाथाएं आकार लेने लगती हैं। मन भगवान शंकर के दर्शनों और उनके आशीर्वाद के लिए लालायित होने लगता है। बाबा केदार के मंदिर की तस्वीरें की कल्पनाओं के चित्र मन में खुद ही आकार लेने लगते हैं। मन से एक आवाज अंतरमन में गूंजने लगती है…हर-हर महादेव। इन्हीं सब चीजों के बाद अब तक की भयंकर आपदाओं में से एक केदारनाथ की भीषणता और भयावहता मन को झकजोर कर रख देती है। मन डरने लगता है। उस आपदा में हजारों लोगों की जानें गई थी। केदार घाटी का भूगोल बदल गया। वह ऐसी भयंकर जलप्रलय थी, जिसे सोचकर और याद कर लोग आज भी सहम उठते हैं।
ये सब बातें इसलिए कि जल्द बाबा केदारनाथ के नाम पर फिल्म आने वाली है। उसका नाम भी केदारनाथ ही है। फिल्म को लेकर लोग नाराज भी हैं…। फिलहाल फिल्म का टीजर आया है। टीजर में जो कुछ नजर आ रहा है। उससे लोग गुस्से में हैं…। फिल्म में क्या है। फिल्म देखने के बाद ही पता चल पाएगा। बहरहाल…फिल्म के टीजर पर बात तो कर ही सकते हैं।
सुशांत सिंह राजपूत और सारा अली खान स्टारर फिल्म केदारनाथ का पोस्टर और टीजर सामने आ चुका है। पोस्टर बहुत कुछ नहीं कहता, लेकिन टीजर कहानी बताने के लिए काफी है। टीजर में केदारनाथ प्रलय को दिखाया गया है। हिंदू लड़की का किरदार निभा रही सारा अली खान यात्री बनी हैं और सुसांत सिंह राजपूत मुस्लिम युवक के किरदार में हैं। टीजर में सुसांत सिंह राजपूत और साराअली खान के बीच कुछ इंटिमेट सीन भी दिखाए गए हैं। टैग लाइन हैं…इस बार सामना करेंगे भीषण जलप्रलय का…और साथ में होगा सिर्फ प्यार…।
प्यार या प्रेम कथाओं पर पहले भी फिल्में बनी हैं। उनमें भगवान के धामों और मंदिरों को सहारा भी बना गया, पर क्या बाबा केदारनाथ के नाम को यूज कर सिर्फ हिंदू-मुस्लिम प्रेम कहानी को ही यहां फिल्माया जाना चाहिए था..? केदारनाथ या यमुनोत्री में मेरे ख्याल से आज तक किसी मुस्लिम युवक ने कंडी नहीं ढोई होगी। फिर फिल्म मेकर्स ने कंडी ढोने के लिए मुस्लिम करैक्टर ही क्यों चुना…? क्या फिल्म मेकर्स की मंशा केवल इतनी थी कि भगवान केदारनाथ और वहां आई प्रलय और हिंदू-मुस्लिम हाॅट टाॅपिक को भुनाने के लिए लड़के को मुस्लिम करेक्टर बनाया जाय। अगर ऐसा है, तो ये बिल्कुल गलत है। इतना ही नहीं फिल्म का हीरो नमाज अता करते हुए भी दिखाया गया है।
लोगों ने इसका विरोध भी शुरू कर दिया है। अगर फिल्म का प्रयोग केवल पब्लिसिटी के लिए हिंदू-मुस्लिम हाॅट टाॅपिक को भुनाना था, तो ऐसी फिल्मों की कोई जरूरत नहीं है। फिल्म बनाने के लिए भगवान केदारनाथ का नाम प्रयोग में लाना कतई सही नहीं कहा जा सकता। फिल्म मेकर्स को इस बारे में स्थिति साफ करनी चाहिए। अगर ऐसा कुछ है, तो यह बहुत गलत है। सरकार को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए। ऐसा नहीं है कि हिंदू-मुस्लिम को आपस में प्यार नहीं हो सकता, हो सकता है, फिल्में भी बन सकती हैं, पर क्या भगवान केदारनाथ की आड़ में इस तरह की फिल्में बनाई जानी चाहिए…? यह एक बड़ा सवाल है और इसका जवाब भी मिलना ही चाहिए।
                                                                                                                                                                         ..प्रदीप रावत (रवांल्टा)

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