रुद्रप्रयाग: ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ के कपाट खुलने की परंपरागत प्रक्रिया शुरु हो चुकी है। गुरुवार को सुबह करीब साढे नौ बजे पौराणिक परंपराओं के अनुसार बाबा की पंचमुखी चल विग्रह डोली ने पंचकेदार गद्दी स्थल उखीमठ से केदारधाम के लिए प्रस्थान किया। सैकडों श्रद्वालुओं व सेना के 10-जम्मू कश्मीर के मीठी बैंड धुनों पर थिरकते हुए बाबा की डोली को कैलाश के लिए विदा किया गया। डोली गुरुवार को प्रथम पडाव फाटा में रात्रि विश्राम करेगी, दूसरे पडाव के लिए गौरीकुण्ड स्थित गौरा माई मंदिर पहुंचेगी और 28 अप्रैल को डोली केदारपुरी पहुंचेगी।
29 अप्रैल को प्रातः 6 बजकर 15 मिनट पर बाबा के कपाट खुल जायेंगे। गुरूवार को सुबह से बाबा की डोली प्रस्थान की वैदिक परंपराएं शुरु हो गयी थी, केदारनाथ जी के रावल भीमाशंकर लिंग महाराज ने केदारनाथ के मुख्य पुजारी को बाबा के कपाटों की चाबी सौंपी और फिर श्रद्वालुओं के जयकारों के बीच बाबा की डोली ने प्रस्थान किया। बता दें कि, केदारनाथ धाम भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में एक 11 वां ज्योर्तिलिग है। यहां पर भगवान के पश्च भाग की पूजा होती है। महज छह माह ग्रीष्मकाल में ही बाबा के केदारनाथ के दर्शन होते हैं, शीतकाल में कपाट बन्द होने के बाद उखीमठ आते हैं।