केदारनाथ हेलिसेवा:क्या यात्रियों की जान की कीमत है कम रेट..?

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देहरादून: केदारनाथ हेली सेवा टेंडर में चहेती कंपनियों को फायदा पहुंचाने के चक्कर में उत्तराखंड सिविल एविशन डेवलेपमेंट एथॉरिटी (यूकाडा) एक बार फिर सवालों के घेरे में है। इस बार भी कंपनियों को फायदा पहुंचना के लिए नियमों की धज्जियां उडाई गई हैं। टेंडर में धांधली की चर्चा का बाजार गर्म है। उत्तराखंड सिविल एविएशन डवलपमेंट अथारिटी (यूकाडा) ने सेरसी हेलीपैड से हेरिटेज और क्रिस्टल एविएशन कंपनी को हेली सेवा का काम दे दिया है। जिसमे नियमों की धज्जियां उड़ाई गई है। बता दे कि इस टेंडर के लिए कई नियमों को रखा गया था जिनकी अनदेखी की गई है।

यूकाडा ने केदारनाथ हेलीसेवा के लिए न सिर्फ नियमों को ताक पर रख कर बल्कि यात्रियों की जान जोखिम में डाल कर एक ऐसी कंपनी को टेंडर दिया है। जिसके पास न अनुभव है और न ही अनुभवी पायलेट। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि यह रिपोर्ट से सिद्ध हुआ है। दरअसल 10 जून 2017 को बद्रीनाथ से उड़ान भरने के कुछ देर बाद श्रद्धालुओं को ले जा रहा एविएशन डेवलपमेंट का हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमें हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद बाहर उतरते समय इंजीनियर विक्रम लांबा की ब्लेड से कटकर मौत हो गई थी और 5 लोग गम्भीर घायल हो गए थे। DGCA  ने हादसे की जांच के बाद जारी की रिपोर्ट में बताया था कि हेलीकॉप्टर को सही प्रकार से हैंडल नहीं किया गया था जिससे यह सिद्ध हुआ कि पायलेट अनुभवी नही था। इसके बावजूद अब ऐसे में उसी कम्पनी को टेंडर देना यूकाड़ा को सवालों के घेरे में खड़ा करता है।

बता दें कि टेंडर में यह शर्त रखी गई थी कि टेंडर उसे ही दिया जायेगा जिस कम्पनी में बीते दो वर्ष के भीतर कोई हादसा न हुआ हो। लेकिन इस नियम को अनदेखा करते हुए महज इस वजह से टेंडर में शामिल कर लिया गया की और कंपनियों के मुकाबले उसका किराया कम था। क्रिस्टल एविएशन कंपनी ने यह टेंडर 4600 के आस पास की रकम में तय किया है। सेरसी से केदारनाथ का किराया लगबग 4600 रुपये है जबकि गुप्तकाशी का किराया 8500 है।   जब सरकार  गुप्तकाशी से 8500 का रेट फिक्स कर सकती थी तो क्या  सिरसी से 5000 से 6000 से उन कंपनियों को चयन कर सकती थी जिन्होंने इस सेक्टए से निविदा करी थी और एक्सीडेंट इंसिडेंट रहित।

ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या शासन के लिए यात्रियों की जान की कीमत यात्रा की कीमत से भी कम है? जो सिर्फ कम कीमत के कारण एक ऐसी कंपनी को टेंडर दिया गया जिसके रिकॉर्ड  में हादसे है बनिजबत उसके जिसके हादसों का रिकॉर्ड साफ है। सवाल यह भी उठता है कि यदि किराए की बात नही थी तो कही क्या किसी के दबाव में आकर यह टेंडर किया गया है। जो यात्रियों की सुरक्षा से भी बढ़कर है। ऐसे में यही प्रतीत होता है कि यूकाडा अति संवेदनशील क्षेत्र में भी एक्सपेरिमेंट करने में उतारु है। 

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