पिछले दिनों मीडिया में केदारनाथ वीआईपी दर्शन को लेकर डीएम रंजना वर्मा का फरमान सुर्खियों में रहा। बताया गया कि डीएम साहिबा ने केदारनाथ में वीआईपी दर्शन पर रोक लगा दी है। जिसके बाद जब हमारी बात बद्री केदार समिति के सीईओ बी.डी सिंह से हुई तो उन्होनें इस मामले को अपना अधिकार क्षेत्र बताते हुए कहा कि ये फैसला तो समिति करती है, औऱ हमने वीआईपी दर्शन पर रोक का ऐसा कोई भी फैसला नहीं लिया है।
उनका कहना था कि डीएम ने इस बारे में समिति से भी कोई बात नहीं की है। इस फैसले पर जब हमने डीएम रंजना वर्मा से बात करने की कोशिश की तो मैडम फोन उठाकर मीटिंग में होने की बात कहने लगी। जिलाधिकारी है, जिले के विकास के लिए मीटिंगे करनी पड़ती हैं लेकिन पिछले तीन दिनों से डीएम रंजना वर्मा का बार बार मीटिंग बोल कर बात करने से बचना सवाल खड़े करता है।
सवाल इस बात का कि क्या रंजना वर्मा मीडिया के प्रति अपनी जवाबदेही से बच रही है ?
क्या डीएम रंजना वर्मा मुख्यमंत्री के उस आदेश को अनसुना कर रही हैं, जिसमें मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों को चेतावनी देते हुए फोन उठाने और उसे सुनने का आदेश दिया था ?
पहले तो एक ऐसा फैसला लेना जो विवादास्पद हो और दूसरा जनता के प्रति जवाबदेही से बचना, अफसरों के इस तरह के व्यवहार से सरकार की छवि को नुकसान हो रहा है।